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जीवन की सीख
हिंदी नैतिक कहानी: जीवन की सीख:- कीर्ति, नेहा, सोनू, प्रिया और उनकी क्लास के बाकी साथी आज बहुत खुश थे, गर्मियों की छुट्टियों के बाद अभी स्कूल को खुले कुछ ही दिन हुए थे कि उन्हें पिकनिक पर पास के वाइल्डलाइफ नेशनल पार्क ले जाया जा रहा था। यही उन सभी की खुशी का कारण था। स्कूल की बस जल्दी ही नेशनल पार्क पहुँच गयी। (Stories | Moral Stories)
वहां उन्हें एक बड़ी सी सफारी जीप में बैठा दिया गया और एक गाइड उन्हें जंगल के भीतर ले जाने लगा। गाइड उन्हें जंगल और वन्य–जीवों के बारे में बता रहा था। बच्चों को बहुत मजा आ रहा था, वे ढेर सारे हिरनों, बंदरों और जंगली पक्षियों को देखकर रोमांचित हो रहे थे।
अभी वे जंगल में कुछ ही आगे गए थे कि तभी गाइड ने सभी को शांत होने का इशारा करते हुए कहा, “शशशश आप लोग बिल्कुल चुप हो जाइए और उस तरफ देखिये। यह एक दुर्लभ दृश्य है, एक मादा हिरन अपने बच्चे को जन्म दे रही है”।
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सफारी जीप को वहीं रोक दिया गया, सभी बड़ी उत्सुकता से वह दृश्य देखने लगे। (Stories | Moral Stories)
मादा हिरन से जन्म लेते हुए बच्चा जमीन पर गिरा और गिरते ही उसने अपने पाँव अंदर की तरफ मोड़ लिए, मानो वो अभी भी...
मादा हिरन से जन्म लेते हुए बच्चा जमीन पर गिरा और गिरते ही उसने अपने पाँव अंदर की तरफ मोड़ लिए, मानो वो अभी भी अपनी माँ की कोख में हो, मादा हिरन ने सिर झुकाया और बच्चे को देखने लगी। फिर वह अपनी जीभ से बच्चे को साफ करने लगी, सभी बड़ी उत्सुकता से ये सब होते देख रहे थे कि अचानक ही कुछ अप्रत्याशित सा घटा, माँ ने बच्चे को सिर से मारा, और बचा अपनी जगह से पलट गया। उसने ऐसा कई बार किया।
जीप में बैठे बच्चे गाइड से कहने लगे, “सर, आप उस हिरन को रोकिये नहीं तो वो बच्चे को मार डालेगी"। पर गाइड ने उन्हें शांत रहने को कहा और पुनः उस तरफ देखने लगा। (Stories | Moral Stories)
बच्चा अभी भी जमीन पर पड़ा हुआ था कि तभी एक बार फिर माँ ने उसे जोर से सिर से मारा इस बार बच्चा उठ खड़ा हुआ और डगमगा कर चलने लगा। धीरे-धीरे माँ और बच्चा घनी झाड़ियों में ओझल हो गये।
उनके जाते ही बच्चों ने पूछा, “सर, वो हिरन अपने ही बच्चे को क्यों मार रही थी। अगर बच्चे को कुछ हो जाता तो?”
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गाइड बोला, बच्चों, जंगल में शेर-चीतों जैसे बहुत से खूंखार जानवर होते हैं, यहाँ किसी बच्चे का जीवन इसी बात पर निर्भर करता है कि वो कितनी जल्दी अपने पैरों पर चलना सीख लेता है। अगर उसकी माँ उसे इसी तरह पड़े रहने देती और सिर से नहीं मारती तो शायद वो अभी भी वहीं पड़ा रहता और कोई जंगली जानवर उसे अपना शिकार बना लेता।
बच्चों, ठीक इसी तरह से आपके माता–पिता भी कई बार आपको डांटते–डपटते हैं, उस वक़्त तो ये सब बहुत बुरा लगता है, पर जब आप बाद में पीछे मुड़कर देखते हैं तो कहीं न कहीं ये एहसास होता है कि मम्मी-पापा की डांट की वजह से ही आप लाइफ में कुछ बन पाये हैं। इसलिए कभी भी अपने बड़ों की सख्ती को दिल से ना लें, बल्कि उनकी भावनाओं को समझें। (Stories | Moral Stories)
