प्रेरणादायक कहानी: सेनापति का साहस और बुद्धिमत्ता जापान के प्रसिद्ध सेनापति नानुनागा ने अपनी बुद्धिमत्ता और रण-कौशल से एक विशाल शत्रु सेना को हराया। युद्ध में जीत के बाद, नानुनागा ने बताया कि सिक्के पर दोनों ओर एक ही चिन्ह था, यह दर्शाते हुए कि विजय उनके साहस और शक्ति का परिणाम थी, न कि किसी आशीर्वाद का। By Lotpot 06 Aug 2024 in Stories Motivational Stories New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 प्रेरणादायक कहानी: सेनापति का साहस और बुद्धिमत्ता:- बात तो बहुत पुरानी है, लेकिन जापान के एक सेनापति नानुनागा को लोग आज भी याद करते हैं। वे एक चतुर सेनापति थे। वे एक छोटी सी सेना के सहारे शत्रु की विशाल सेना को तहस-नहस कर विजय प्राप्त करते थे। यह सब एकमात्र उनकी बुद्धि एवं रण-कौशल के कारण ही संभव होता था। नानुनागा की सेना युद्ध के दौरान (सिंटू) नाम के एक विख्यात संत का नाम इस प्रकार चिल्लाकर उच्चारण करती थी कि शत्रु सेना में तहलका मच जाता था। नानुनागा का युद्ध की तैयारी और योजना एक बार नानुनागा ने अपने पड़ोसी राज्य पर आक्रमण करने का निश्चय किया। उनकी सेना आदेश पाते ही युद्ध के लिए तैयार हो गई। युद्ध सज्जा से सज्जित होकर वे यथा समय रणभूमि के लिए रवाना हुए, यद्यपि उनके सैनिक सहासी थे फिर भी नानुनागा के मन में आया कि विशाल शत्रु सेना के सामने कहीं उनकी सेना हार न मान बैठे। इसलिए उन्होंने कूटबुद्धि का परिचय दिया। सैनिक जब लड़ने के लिए जा रहे थे तब रास्ते में उसे एक जगह रूकने के लिए कहा गया। वहां संत (सिंटू) का मंदिर था, उसके बाद नानुनागा ने अपने सैनिकों से कहा, "सिर्फ मैं मंदिर के अंदर प्रवेश करूंगा और प्रार्थना करूंगा ताकि हमें विजय प्राप्त हो। उसके बाद मैं बाहर आ कर एक सिक्का ऊपर की ओर उछालूंगा। नीचे गिरने पर यदि सिक्के में अंकित मूर्तिवाला हिस्सा ऊपर रहा, तो समझना कि संत ने हमें आशीर्वाद दिया है। हमारी विजय निश्चित है"। संत (सिंटू) के आशीर्वाद का दिखावा प्रार्थना करने के बाद नानुनागा ने मंदिर से निकलकर सिक्के को ऊपर की ओर उछाला सभी सैनिक प्रतिक्षा करने लगे। सिक्का जब नीचे आया तो मूर्ति अंकित वाला हिस्सा ऊपर था, सेना खुशी से चिल्ला पड़ी। युद्ध की विजय और सैनिकों का विश्वास उस दिन शत्रु सेना के साथ भयंकर लड़ाई हुई। लेकिन अंतत: जीत नानुनागा की ही हुई, युद्ध खत्म होने पर उन्होंने विजयी सेना का अभिनंदन किया। सैनिकों ने गर्व के साथ कहा कि सिक्के ने तो पहले ही हमारी जीत निश्चित कर दी थी। हम तो केवल (संत सिंटू) की आज्ञा का पालन कर रहे थे। सिक्के का रहस्य और नानुनागा की सच्चाई का खुलासा सेनापति नानुनागा यह सुनकर चिंतित हो उठे। उन्होंने सोचा कि सेना अपने साहस और पराक्रम की बजाय संत के आशीर्वाद को बड़ा मानती है। इस प्रकार की धारणा बाद में इनके मन में उत्साह का अभाव ला सकती है, इसलिए उन्होंने सैनिकों को चौंकाते हुए कहा, "केवल आशीर्वाद से ही नही, तुम लोगों ने अपने साहस और शक्ति के कारण ही यह विजय प्राप्त की है, इसका सबूत मैं तुम्हें दिखाता हूं"। यह कहकर उन्होंने उस सिक्के को सैनिकों की तरफ उछाल दिया, सैनिक यह देखकर चौंक पड़े कि उस सिक्के के दोनों तरफ एक ही तरह की मूर्ति का चिन्ह था। साहस और शक्ति के महत्व पर सैनिकों का नया उत्साह तब नानुनागा ने कहा, "सच तो यह है कि हमने अपने जीवन की आशा त्याग कर पूरे साहस और धैर्य के साथ यह लड़ाई लड़ी। इसी वजह से हमारी विजय हुई। इसी गुण के कारण भविष्य में भी हम विजयी होंगे, और ध्यान रहे ईश्वर भी ऐसे ही कर्मवीर योद्धाओं की सहायता करते हैं," नानुनागा की इस बात पर सैनिकों में साहस और शक्ति का एक नया संचार उत्पन्न हुआ, वे फिर एक साथ अपने साहसी और बुद्धिमान सेनापति नानुनागा की जय बोल उठे। कहानी से सीख: सच्ची विजय केवल आशीर्वाद पर निर्भर नहीं होती, यह आपकी मेहनत, साहस, और शक्ति पर आधारित होती है। आत्मविश्वास और समर्पण से ही आप वास्तविक सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह भी पढ़ें:- प्रेरणादायक कहानी: जादुई पत्थर की खोज हिंदी प्रेरक कहानी: चाटुकारों का अंत हिंदी प्रेरक कहानी: चाल पर चाल Motivational Story: हार का कारण #प्रेरणादायक कहानी #Kids Hindi Motivational Story #Hindi story of courageous commander #सेनापति का साहस और बुद्धिमत्ता की कहानी #hindi story of a japanese warrior #जापानी योद्धा की कहानी You May Also like Read the Next Article