हिंदी प्रेरक कहानी: चाल पर चाल:- दक्षिण भारत के राजा थे, उनका नाम था चेर। कम्बन उनके राजकवि थे। कम्बन ने ही तमिल में रामायण लिखी थी। राजा चेर के दरबार में बहुत से कवि थे। लेकिन राजा कम्बन को सबसे ज्यादा मानते थे। दूसरे दरबारी कवि उससे ईर्ष्या करते थे। वे कम्बन को राजा की निगाहों में गिराना चाहते थे। एक दिन एक कवि ने कहा "मेरे दिमाग में एक योजना है"। (Motivational Stories | Stories)
"क्या योजना है?" दूसरे कवियों ने उत्सुकता से पूछा।
"राजा के किसी पहरेदार को कुछ लालच दे दें। वह राजा के सामने कम्बन को अपना भाई कह दे, तो बात बन जाए। जब राजा को पता लगेगा कि कम्बन पहरेदार का भाई है तो वह उन्हें दुत्कार देंगे"। सबको यह बात पसंद आई। वे सभी मिलकर पहरेदार के पास गये। पहरेदार बोला- "मैं यह काम कर सकता हूं। मुझे इसके लिए एक हजार स्वर्ण मुद्राएं चाहिए"। सारे कवियों ने उसकी बात मान ली।
एक दिन कम्बन और राजा महल के बाहर जा रहे थे तभी पहरेदार उनके पास आया। कम्बन के पैर छूते हुए बोला- "भइया, कैसे हो?"
कम्बन समझ गया कि यह कोई साजिश है। उन्होंने भी चाल चली और कहा- "मैं तो ठीक हूं भइया। तुम बताओ, भाभी बच्चे कैसे हैं"। (Motivational Stories | Stories)
राजा को यह सोचकर धक्का लगा कि पहरेदार के भाई को राजकवि बना दिया। जब राजकवि घर गया तो उसके मुख पर...
राजा को यह सोचकर धक्का लगा कि पहरेदार के भाई को राजकवि बना दिया। जब राजकवि घर गया तो उसके मुख पर उदासी थी। उसकी बेटी अर्चना, जो अपने बाप जैसी बुद्धिमान थी, वह उदासी का कारण जानने के लिए जिद करने लगी। आखिर सब बात बतानी पड़ी।
सुनकर अर्चना बोली, "आप सो जाइए। मैं आपको कल इसका हल बता दूंगी"।
अगले दिन अर्चना ने उसे अपने पैरो की एक अद्वितीय पायल दी और उन्हें सब कुछ समझाकर दरबार में भेज दिया। कम्बन ने दरबार में जाकर राजा से कहा- "महाराज, यह पायल मैं रानी को देना चाहता हूं"।
राजा ने एक पायल देखी और दूसरी दूसरी पायल मांगी। कम्बन ने परहेदार की ओर इशारा करते हुए कहा- "महाराज, दूसरी पायल मेरे भाई के पास है। (Motivational Stories | Stories)
पहरेदार कुछ समझ नहीं पाया कि यह सब क्या हो रहा है। वह घबरा गया। कम्बन ने पहरेदार से कहा- "भइया, पिताजी ने दूसरी पायल आपको दिया था। वह राजा को दे दो"।
"मेरे पास कोई पायल नहीं है"। पहरेदार आंतकित स्वर में बोला। ''भइया तुम तो हमेशा ही वह पायल देने को कहते थे। फिर वह पायल तो महाराज को देना ही है। मना मत करो"। कम्बन ने समझाया।
पहरेदार डर से कांपने लगा। उसने सारी बात राजा को बता दी। राजा को गुस्सा आया। वह शरारती कवियों को सजा देने पर उतर आए।
तभी कम्बन बोले- "महाराज, इन्हें माफ कर दीजिए ये मेरे भाई ही हैं"।
राजा शांत हो गए। अपनी बेटी के कारण कम्बन राजा की निगाहों से गिरने से बच गए। (Motivational Stories | Stories)
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