Jungle Story: चीकू की बुद्धिमत्ता

एक था नंदन वन उसमें रहने वाले चीकू और मीकू खरगोश बहुत पक्के मित्र थे। दिन भर दोंनों मित्र खूब उछल-कूद मचाते और शाम होते ही घर लौट आते। चीकू बहुत बुद्धिमान था, लेकिन डरपोक और आलसी था।

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Rabbits in jungle

चीकू की बुद्धिमत्ता

Jungle Story चीकू की बुद्धिमत्ता:- एक था नंदन वन उसमें रहने वाले चीकू और मीकू खरगोश बहुत पक्के मित्र थे। दिन भर दोंनों मित्र खूब उछल-कूद मचाते और शाम होते ही घर लौट आते। चीकू बहुत बुद्धिमान था, लेकिन डरपोक और आलसी था। चीकू हर काम को सोच समझ कर करता था। कैसी भी मुसीबत हो वह अपनी समझदारी से उस पर विजय पा लेता। डर नाम के बारे में तो जैसे वह जानता ही नहीं था। (Jungle Stories | Stories)

एक मक्कार लोमड़ कहीं से उसी जंगल में आ गया। जहां चीकू और मीकू रहते थे। वह सदा उन दोनों को खेलते-कूदते देखता तो मन ही मन उन दोनों को 'चट' करने की सोचा करता था परन्तु अगले ही क्षण उसे चीकू की समझदारी का ध्यान आ जाता। वह जानता था कि चीकू के होते हुये उसकी दाल नहीं गल सकती। फिर भी वह उन दोनों को चट करने की योजनाएं बनाता रहता था।

Rabbits in jungle

एक दिन दोनों मित्र रोज की तरह मस्ती में झूमते, खेलने के लिए जा रहे थे, तभी मक्कार लोमड़ सामने आया...

एक दिन दोनों मित्र रोज की तरह मस्ती में झूमते, खेलने के लिए जा रहे थे, तभी मक्कार लोमड़ सामने आया। उस समय वह पूरी तरह साधु लग रहा था। भगवा रंग के कपड़े पहने, हाथ में कमण्डल लिए वह धीरे-धीरे उनके पास गया और मक्कारी भरे इरादे से धीरे से बोला, “बच्चे लोग! तुम कहां जा रहे हो?” (Jungle Stories | Stories)

चीकू लोमड़ को साधु के वेश में देखकर समझ गया कि वह इन्हें धोखा देना चाहता है, परन्तु वह भी कम न था। उसने भी बड़े आदर भाव से हाथ जोड़कर कहा, “हम खेलने जा रहे हैं, महाराज! लेकिन आप और इस वेश में?''

“हां बच्चा, मैने सारी जिन्दगी बहुत पाप किये हैं अब मेरा अंत समय आ गया है इसलिए प्रायश्चित करना चाहता हूं। सब बुरे काम छोड़कर मैंने सन्‍यास ले लिया है। साथ ही कमजोर तथा छोटे जानवरों की सेवा करने का संकल्प भी लिया है। यों तो लोमड़ के मुंह में पानी भर आया था, फिर भी वह रंगे सियार की तरह दिखावे के लिए उपदेश देने लगा। चीकू उसकी बातों में नहीं आया और मन ही मन उससे बचने की युक्ति सोचने लगा। (Jungle Stories | Stories)

उधर बेचारा मीकू डर के कारण थर-थर कांप रहा था। उसे इस तरह घबराया हुआ देखकर लोमड़ ने कहा, “तुम बहुत कमजोर दिल के मालूम होते हो। मैंने बहुत मेहनत करके एक ऐसी दवा बनाई है जिसे खाने से शरीर में बहुत ताकत आती है।” “तो उसी दवा के प्रयोग से आपका शरीर इतना गठा हुआ दिखाई देता है।'' मीकू खरगोश ने मक्कार लोमड़ की प्रशंसा करते हुये कहा।

Rabbit with fox in jungle cartoon image

“हां बच्चा! मैं उसी दवा को रोज खाता हूं। इस समय वह दवा मेरे पास नहीं है। तुम भी ताकतवर बनकर दूसरे बड़े जानवरों से बचना चाहो तो मेरे साथ चलो। अपनी कुटिया से तुम्हें भी दवा दे दूंगा। वास्तव में वह दवा मैंने तुम जैसे छोटे जानवरों के लिए बनाई है।”

लोमड़ की चालाकी भरी बात सुनकर चीकू बोला। ''परन्तु महाराज हम आपकी बात की सच्चाई परखने के बाद ही आपके साथ चल सकते हैं।” (Jungle Stories | Stories)

यह सुनकर लोमड़ चक्कर में पड़ गया कि अपनी बात का प्रमाण किस प्रकार दे। इसके बिना ये दोनों खरगोश उसके साथ नहीं आयेंगे और उसकी सारी योजना बेकार हो जायेगी। अभी लोमड़ सोच ही रहा था कि चीकू दूर एक पेड़ की ओर संकेत करते हुए बोला, “महाराज! हमारे दस गिनने तक आप दौड़कर उस पेड़ को छू आइये तो हमें यकीन हो जाएगा कि आपकी दवा से वास्तव में शरीर चुस्त होता है।” यह सुनते ही लोमड़ मुस्कुराने लगा। पेड़ को छूकर आने में कितना समय लगता है, यदि इसी से उनको फंसाया जा सकता है तो थोड़ी दौड़ लगाने में कोई हानि नहीं है। यह सोचते हुए लोमड़ ने कहा, “तुम्हारी भलाई के लिए मैं यह भी करके दिखा सकता हूं।''

इतना कहते ही साधु वेश में लोमड़ अपने ढीले-ढीले कपड़ो को संभालता हुआ चीकू द्वारा बताये पेड़ की ओर दौड़ पड़ा। वह उनके दस गिनने से पहले लौट कर उन्हें अपने साथ ले जाना चाहता था। भागते-भागते लोमड़ अपनी योजना पर बहुत खुश हो रहा था। वह सोच रहा था कि घर पहुंचते ही दोनों को एक साथ यमपुरी पहुंचा देगा और उसकी बहुत दिनों की इच्छा पूरी हो जाएगी। (Jungle Stories | Stories)

लोमड़ के दौड़ते ही चीकू ने मीकू से कहा, ''भागो! जब तक वह मक्कार लोमड़ पेड़ के पास पहुंचेगा हम यहां से बहुत दूर निकल जांएगे”।

उधर लोमड़ खुशी-खुशी पेड़ के पास पहुंचा और उसे छूकर मुड़ा तो दंग रह गया। उसने देखा कि दोनों काफी दूर भागे जा रहे हैं। तब उसे अपनी मूर्खता पर बड़ी लज्जा आई। (Jungle Stories | Stories)

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