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घमंड और विनम्रता का अंतर
प्यारे बच्चों, क्या आपने कभी सोचा है कि असली सुंदरता और महानता क्या होती है? क्या यह बाहरी चमक-दमक, रंग-रूप या अपनी तारीफें सुनने में है? या यह हमारे स्वभाव, दूसरों के प्रति सम्मान और हमारी विनम्रता में छिपी होती है? अक्सर हम उन चीजों पर घमंड करने लगते हैं जो हमारे पास हैं, लेकिन हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि हर किसी में कोई न कोई खासियत होती है।
आज हम एक बहुत ही प्यारी और सबक सिखाने वाली कहानी पढ़ेंगे, जिसका नाम है "सूरजमुखी और घमंडी गुलाब: विनम्रता की पहचान"। यह कहानी हमें दो फूलों के माध्यम से बताएगी कि कैसे घमंड हमें अकेला कर देता है, जबकि विनम्रता हमें सबका प्रिय बनाती है और हमारी सच्ची पहचान बनती है।
सुंदर बगिया का घमंडी गुलाब
एक बहुत ही सुंदर बगिया थी, जिसका नाम था 'खुशियों का बाग'। इस बाग में तरह-तरह के फूल खिले रहते थे, जिनकी खुशबू दूर-दूर तक फैलती थी। उन्हीं फूलों में एक बहुत ही खूबसूरत
यह सब देखकर गुलाब को बहुत घमंड हो गया। वह सोचता था कि वह इस बाग का सबसे सुंदर और महत्वपूर्ण फूल है।
गुलाब अक्सर दूसरे फूलों का मज़ाक उड़ाता था। जब कोई
बाग के सभी फूल उस घमंडी गुलाब से दूर रहते थे, क्योंकि वह कभी किसी की तारीफ नहीं करता था और हमेशा खुद की बड़ाई करता रहता था।
विनम्र सूरजमुखी का आगमन
उसी बाग के एक कोने में, कुछ दिनों बाद एक नया पौधा उगा। यह एक
गुलाब ने सूरजमुखी को देखा और फिर से घमंड से बोला, "ओह! तुम भी आ गए, सूरजमुखी। तुम्हारा रंग तो मेरे लाल रंग के सामने फीका है और तुम्हारी खुशबू भी मेरे जितनी मीठी नहीं है। तुम बस सूरज को देखते रहते हो, जैसे उसके गुलाम हो।"
सूरजमुखी ने विनम्रता से जवाब दिया, "नमस्ते गुलाब भाई। मैं सूरज का गुलाम नहीं, बल्कि उसका आभारी हूँ। वही तो मुझे रोशनी और जीवन देता है। मैं तो बस अपनी जगह खुश हूँ।"
गुलाब को सूरजमुखी की यह विनम्रता समझ नहीं आई। वह सोचता था कि सूरजमुखी भी उसकी तरह घमंड क्यों नहीं करता।
तूफान की आहट और घमंड का टूटना
कुछ दिनों बाद, मौसम बदलने लगा। आसमान में काले बादल छा गए और तेज तूफान आने के संकेत मिलने लगे। सभी फूल घबरा गए। तेज हवाएँ चलने लगीं और बारिश शुरू हो गई।
गुलाब ने अपनी मजबूत टहनियों पर घमंड करते हुए कहा, "मुझे कुछ नहीं होगा! मैं सबसे मजबूत हूँ।"
लेकिन तेज हवा के झोंकों ने गुलाब की नाजुक पंखुड़ियों को तोड़ना शुरू कर दिया। उसकी एक-एक पंखुड़ी टूटकर बिखरने लगी। उसकी खूबसूरत खुशबू भी हवा में गुम हो गई। गुलाब बहुत डर गया और रोने लगा, "मुझे बचाओ! मुझे बचाओ!"
उधर, सूरजमुखी ने तूफान का सामना बड़ी शांति और विनम्रता से किया। वह तेज हवा के साथ झुक जाता और फिर सीधा हो जाता। उसकी मजबूत डंठल हवा के साथ लहरा रही थी, लेकिन वह टूटी नहीं। उसने अपनी पंखुड़ियों को कसकर बंद कर लिया था ताकि वे खराब न हों।
जब तूफान थमा और सूरज निकला, तो गुलाब की सारी पंखुड़ियाँ टूट चुकी थीं और वह अपनी सुंदरता खो चुका था। वह उदास होकर नीचे झुक गया था।
विनम्रता की जीत और सच्ची पहचान
सूरजमुखी ने देखा कि गुलाब बहुत उदास है। उसने विनम्रता से अपनी पंखुड़ियाँ खोलीं और सूरज की ओर मुस्कुराया। वह तूफान के बाद भी उतना ही सुंदर और जीवंत लग रहा था।
"गुलाब भाई, आप ठीक हैं?" सूरजमुखी ने पूछा।
गुलाब शर्मिंदा था। उसने धीरे से कहा, "मैं अब सुंदर नहीं रहा। मेरी सारी पंखुड़ियाँ टूट गईं।"
सूरजमुखी ने कहा, "सुंदरता सिर्फ पंखुड़ियों में नहीं होती गुलाब भाई। असली सुंदरता अच्छे स्वभाव और विनम्रता में होती है। जब आप दूसरों का मज़ाक उड़ाते थे, तब आपकी बाहरी सुंदरता भी फीकी पड़ जाती थी। आज भले ही मेरी पंखुड़ियाँ आपके जैसी खुशबूदार न हों, लेकिन मैंने तूफान का सामना हिम्मत और विनम्रता से किया।"
उस दिन गुलाब को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने समझा कि विनम्रता की पहचान ही सच्ची महानता है। उसने सूरजमुखी से माफी मांगी और कहा, "तुम सच में मुझसे ज्यादा महान हो, सूरजमुखी। मैंने अपने घमंड में सब कुछ खो दिया।"
उस दिन से गुलाब ने घमंड करना छोड़ दिया और वह भी सूरजमुखी की तरह विनम्र बन गया। बाग के बाकी फूल भी सूरजमुखी की सादगी और हिम्मत की तारीफ करने लगे। अब बाग में सभी फूल एक-दूसरे का सम्मान करते हुए खुशी-खुशी रहते थे।
सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि घमंड हमेशा दुख और अकेलेपन का कारण बनता है, जबकि विनम्रता हमें सबका प्रिय बनाती है और हमें जीवन में सच्ची खुशी देती है। हमें कभी भी अपनी सुंदरता, ताकत या किसी और चीज़ पर घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि हर किसी में कोई न कोई खास बात होती है। असली पहचान बाहरी दिखावे में नहीं, बल्कि हमारे अच्छे व्यवहार और दूसरों के प्रति सम्मान में होती है।
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