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बाल कहानी - जायज तरीका: कही एक इंजीनियर रहता था, जो नहर का कार्यभार संभालता था। वही आदेश देता था कि किस क्षेत्र में पानी देना है। वह बहुत ईमानदार था । एक बार एक किसान ने उसे 1000 रुपये एक लिफाफे में देते हुए कहा, "मेरे खेत के पास ही मेरे दुश्मन किसान का भी खेत है कुछ भी हो, पर उसे अपने खेत के लिए पानी न मिले। बस, मेरा इतना काम कर दीजिए।'
इंजीनियर ने सोचा, 'एक हजार रुपए तो मेरे भाग्य में आने वाले हैं, इसीलिए यह दे रहा है। किंतु गलत ढंग से रुपये लेकर मैं क्यों कर्मबंधन में पङू ? हजार रुपये आने होंगे तो कैसे भी भी करके आ जाएंगे। अतः उसने हजार रुपये उस किसान को लौटा दिए।
कुछ दिनों के बाद इंजीनियर रेल से शहर से लौट रहा था। म एक हीरे के व्यापारी का लड़का भी उसके साथ बैठा। वह लड़का किसी बीच वाले स्टेशन पर उत्तर गया, पर अपनी अटैची गाड़ी में ही भूल गया। वह इंजीनियर समझ गया कि अटैची उसी लड़के की है। अपने स्टेशन पर उतरते समय वह अटैची इंजीनियर अपने साथ ले आया। उसमें रखे कागजों में से उसे टेलिफोन नंबर मिल गया।
इधर हीरे के व्यापारी का वो लड़का परेशान हो रहा था। उसमें भारी रकम थी, साथ ही लाखों का कच्चा माल भी था। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे? किसी को बताया तो भी मुसीबत खड़ी होने का डर था। पर, अगले दिन सुबह उनके यहां फोन आया,
'आपकी अटैची ट्रेन में रह गई थी। मेरा यह पता है आप आकर इसे ले जाइए।'
बाप-बेटे गाड़ी लेकर इंजीनियर के यहां पहुंचे। इंजीनियर ने उन्हें अटैची दे दी। व्यापारी ने देखा कि अंदर सभी माल व रुपये सुरक्षित रखे हैं। 'यह व्यक्ति तो भगवान है', ऐसा सोचकर व्यापारी की आंखों में आंसू आ गए।
उसने कोरे लिफाफे में कुछ रुपये रखे और हाथ जोड़ते हुए बोला, ' भाई साहब! फूल नहीं तो फूल की पंखुड़ी ही सही, हमारी इतनी सेवा जरूर स्वीकार करना।'
इंजीनियर साहब, ने मुस्कुराते हुए वह लिफाफा ले लिया और कहां- ' इसमे एक हजार रूपये रखे हैं न?'
व्यापारी- आपको कैसे पता चला ?'
इंजीनियर बस मुस्कराकर रह गया उसकी मुस्कुराहट बता रही थी कि जो उसकी किस्मत में लिखा था वह जायज तरीके से उसके पास आ गया था।
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