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Moral Stories- इस कहानी में चिंटू नामक एक छोटे लड़के की यात्रा को दर्शाया गया है, जो अपने दोस्त के साथ खिलौने अदला-बदली करता है। इस दौरान उसे सच्चाई और ईमानदारी का महत्व समझ में आता है।
कहानी: चिंटू, एक खुशमिजाज और चंचल बालक था, जो अपने मोहल्ले में सबसे ज्यादा खेलकूद का शौकीन था। एक दिन, चिंटू ने अपने सबसे अच्छे दोस्त गोलू के साथ खिलौने अदला-बदली करने का निश्चय किया। गोलू के पास एक नया रिमोट कंट्रोल कार था और चिंटू के पास एक बहुत ही सुंदर और बड़ा ट्रक था।
जब वे दोनों मिले, चिंटू ने गोलू से कहा, "गोलू, क्या तुम मेरा ट्रक अपनी रिमोट कार के लिए बदलना चाहोगे? मुझे तुम्हारी कार बहुत पसंद आई है।"
गोलू, जो हमेशा नई चीजों की तलाश में रहता था, ने खुशी-खुशी हाँ कर दी। "बिलकुल, चिंटू! लेकिन क्या तुम्हारा ट्रक अच्छे से काम करता है?"
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चिंटू ने हामी भरी, लेकिन उसे पता था कि ट्रक की बैटरी कभी-कभी ठीक से काम नहीं करती। वह झिझकते हुए बोला, "हाँ, बिल्कुल ठीक काम करता है!" लेकिन उसके दिल में थोड़ी चुभन हुई क्योंकि वह जानता था कि वह पूरी तरह से सच नहीं बोल रहा था।
अदला-बदली के बाद, गोलू ने जब ट्रक चलाया तो कुछ ही समय में वह बंद हो गया। गोलू निराश हो गया और चिंटू के पास वापस आया। "चिंटू, यह ट्रक तो ठीक से काम ही नहीं कर रहा है। क्या तुमने मुझे सच बताया था?"
चिंटू को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह गोलू से माफी मांगने लगा। "मुझे माफ कर दो, गोलू। मैंने तुमसे सच नहीं बताया। मैंने सोचा था कि तुम्हें पता नहीं चलेगा। लेकिन मैंने गलत किया।"
गोलू थोड़ा निराश हुआ, पर उसने चिंटू की ईमानदारी की सराहना की। उसने कहा, "चिंटू, मैं नाराज़ तो हूँ, पर तुमने सच बताकर अच्छा किया। दोस्ती में सच्चाई बहुत ज़रूरी है।"
दोनों दोस्तों ने फिर से खिलौने वापस बदल लिए और चिंटू ने अपने ट्रक की बैटरी ठीक करवाने का वादा किया। इस घटना से चिंटू ने सीखा कि सच्चाई और ईमानदारी हमेशा सबसे अच्छी नीति होती है।
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अगले कुछ दिनों में, चिंटू ने न केवल अपने ट्रक की बैटरी ठीक करवाई, बल्कि गोलू को एक छोटा सा उपहार भी दिया, जिससे उनकी दोस्ती पहले से भी ज्यादा मजबूत हो गई।
दोनों दोस्तों ने इस अनुभव से सीखा कि सच्चाई और ईमानदारी एक दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास को बढ़ाती है, और यही वास्तविक दोस्ती का आधार होता है।
कहानी से सीख:
इस कहानी से बच्चे सीख सकते हैं कि ईमानदारी से बड़ा कोई गुण नहीं होता। गलतियाँ सबसे हो सकती हैं, लेकिन उन्हें स्वीकार करना और सुधारना ही असली समझदारी है। इस तरह के व्यवहार से ही सच्चे दोस्त और अच्छे इंसान बनते हैं।
