Moral Story : ब्राह्मण और सांप की दोस्ती

शहर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह एक फार्म चलाता था। वह बहुत मेहनती था, लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी उसे फार्म से पूरा उत्पादन नहीं मिलता था।

By Lotpot
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Moral Story friendship between brahmin and snake
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Moral Story : ब्राह्मण और सांप की दोस्ती- शहर में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह एक फार्म चलाता था। वह बहुत मेहनती था, लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी उसे फार्म से पूरा उत्पादन नहीं मिलता था।

एक दिन फार्म में काम करते-करते वह थक गया। धूप काफी थी, इसलिए थोड़ी देर के लिए छांव में बैठ गया। जिस पेड़ के नीचे वह बैठा था, वहां एक सांप था। जैसे ही उसने अपना सिर ऊपर उठाया, उसने सांप को देखा।

सांप को देखकर उसने सोचा कि यही वह है जिसकी वजह से मेरे फार्म का उत्पादन कम हो रहा है। मैं इस सांप की आज से पूजा करूंगा। शायद इसके बाद फार्म का उत्पादन बढ़ जाए।

ब्राह्मण एक थाली में दूध लेकर आया और सांप के सामने रख दिया। उसने कहा, “मुझे पता नहीं था कि आप ही मेरे फार्म के रखवाले हैं। मुझे माफ कर दें और मेरी यह भेंट स्वीकार करें।”

इसके बाद ब्राह्मण घर चला गया। अगले दिन जब वह वहां आया तो उसने देखा कि थाली में एक सोने का सिक्का रखा हुआ है। उसने इसे सांप का आशीर्वाद समझकर ले लिया। ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। इस दौरान ब्राह्मण खूब धनी हो गया।

कुछ समय बाद ब्राह्मण घूमने के लिए दूसरे गांव चला गया। उसने अपने बेटे को सांप की पूजा करने और दूध पिलाने की जिम्मेदारी सौंप दी। बेटे ने पिता की बात मानकर सांप को दूध पिलाना शुरू कर दिया। अगले दिन उसे भी थाली में एक सोने का सिक्का मिला।

बेटे ने सोचा कि अगर यह सांप रोज एक सोने का सिक्का देता है, तो पेड़ के नीचे और भी बहुत सारे सिक्के होंगे। उसने सांप को मारने की योजना बना ली।

अगले दिन, जब सांप आया, तो ब्राह्मण के बेटे ने उस पर लाठी से वार किया। सांप मरा नहीं, लेकिन उसे गुस्सा आया और उसने ब्राह्मण के बेटे को काट लिया। जहर के कारण बेटे की मौत हो गई।

जब ब्राह्मण वापस आया, तो उसे बेटे की मृत्यु के बारे में पता चला। उसने सारी बातें सुनीं। ब्राह्मण के परिजनों ने सांप से बदला लेने की ठानी। हालांकि, ब्राह्मण दुखी था लेकिन उसने सांप का बचाव किया।

अगले दिन ब्राह्मण फिर से दूध लेकर सांप के पास पहुंचा। कोबरा और ब्राह्मण का आमना-सामना हुआ। ब्राह्मण ने सांप की पूजा की।

सांप ने कहा, “तुम अपने बेटे की मृत्यु भूल गए और फिर से सोने का सिक्का लेने आए हो। तुम यहां मेरा सम्मान करने नहीं, बल्कि लालच के चलते आए हो। हमारी दोस्ती अब नहीं चल सकती।

“मैंने तुम्हारे बेटे पर अपने बचाव के लिए प्रहार किया। वह लालची हो गया था, इसलिए वह मरा। उसकी मृत्यु उसकी नादानी थी। लेकिन तुम उसकी मौत कैसे भूल गए? मेरे सिर पर लगी चोट को देखो और अपने बेटे की चिता को याद करो।”

सांप ने ब्राह्मण को एक हीरा दिया और कहा, “प्यार टुकड़ों में नहीं मिलता। यहां दोबारा मत आना।”

ब्राह्मण हीरा लेकर घर चला गया। उसे अपने बेटे की बेवकूफी पर गुस्सा आया और उसने फिर कभी सांप के पास न जाने का निश्चय किया।

सार

लालच सब कुछ खत्म कर देता है। इसका अंत हमेशा भयानक होता है।

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