Moral Story : कर्म का फल

एक गाँव में एक छोटा लड़का रहता था, जिसका नाम रमन था। रमन बहुत ही शरारती और जिद्दी था। उसे किसी की बात मानने का बिल्कुल मन नहीं करता था। वह हमेशा दूसरों को परेशान करने में मज़ा लेता था।

By Lotpot
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Moral Story: Fruit of Karma
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Moral Story : कर्म का फल- एक गाँव में एक छोटा लड़का रहता था, जिसका नाम रमन था। रमन बहुत ही शरारती और जिद्दी था। उसे किसी की बात मानने का बिल्कुल मन नहीं करता था। वह हमेशा दूसरों को परेशान करने में मज़ा लेता था। उसके माता-पिता उसकी हरकतों से बहुत दुखी थे, लेकिन वे उसे समझाने में नाकाम रहते थे।

एक दिन, रमन के स्कूल में महात्मा गांधी के जीवन पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में गांधीजी के सिद्धांतों और उनके अहिंसा के मार्ग के बारे में बताया गया। रमन ने सुना कि गांधीजी ने कभी झूठ नहीं बोला, कभी किसी को दुख नहीं पहुँचाया, और हमेशा सच्चाई और न्याय के रास्ते पर चले। यह सब सुनकर रमन के मन में एक सवाल उठा।

कार्यक्रम के बाद, रमन ने अपने शिक्षक से पूछा, "सर, गांधीजी इतने महान कैसे बन गए? उन्होंने ऐसा क्या किया जो हर कोई उन्हें इतना सम्मान देता है?"

शिक्षक ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "रमन, गांधीजी ने अपने जीवन में हमेशा सच्चाई और अहिंसा का पालन किया। उन्होंने कभी भी किसी को दुख नहीं पहुँचाया और हमेशा दूसरों की मदद की। उनका मानना था कि अगर हम अच्छे कर्म करेंगे, तो उसका फल हमें जरूर मिलेगा।"

रमन ने सोचा, "क्या सच में अच्छे कर्म करने से हमें अच्छा फल मिलता है?" उसने फैसला किया कि वह भी गांधीजी की तरह अच्छे कर्म करेगा और देखेगा कि क्या होता है।

अगले दिन से, रमन ने अपने व्यवहार में बदलाव लाना शुरू किया। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर खेलना शुरू किया, उनकी मदद की, और किसी को परेशान नहीं किया। उसने अपने माता-पिता की बात माननी शुरू कर दी और उनके कामों में हाथ बंटाने लगा। धीरे-धीरे, रमन के व्यवहार में सुधार होने लगा।

एक दिन, रमन ने देखा कि उसका एक दोस्त, राजू, जो हमेशा उसके साथ खेलता था, बहुत उदास है। रमन ने राजू से पूछा, "क्या हुआ, राजू? तुम इतने उदास क्यों हो?"

राजू ने आँसू भरी आँखों से जवाब दिया, "मेरे पिता बीमार हैं, और हमारे पास उनकी दवाई खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं।"

रमन ने तुरंत अपने पिग्गी बैंक से पैसे निकाले और राजू को दिए। उसने कहा, "यह लो, राजू। इन पैसों से अपने पिता की दवाई खरीद लो।"

राजू ने रमन को गले लगा लिया और कहा, "धन्यवाद, रमन। तुमने मेरी बहुत मदद की।"

कुछ दिनों बाद, राजू के पिता ठीक हो गए, और राजू ने रमन को धन्यवाद दिया। रमन को एहसास हुआ कि उसके अच्छे कर्म का फल उसे मिल चुका है। उसे खुशी महसूस हुई कि उसने किसी की मदद की और उसके चेहरे पर मुस्कान ला दी।

रमन ने महसूस किया कि गांधीजी के सिद्धांत सच में बहुत बड़े हैं। उसने समझ लिया कि अच्छे कर्म करने से न केवल दूसरों को खुशी मिलती है, बल्कि हमें भी आंतरिक शांति और संतुष्टि मिलती है।

कहानी का सार:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अच्छे कर्म करने से हमें अच्छा फल मिलता है। महात्मा गांधी के सिद्धांत हमें यह बताते हैं कि सच्चाई, अहिंसा और दूसरों की मदद करने से हम न केवल दूसरों को खुश कर सकते हैं, बल्कि अपने जीवन को भी सार्थक बना सकते हैं। हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए, क्योंकि कर्म का फल अवश्य मिलता है।

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