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नई और बूढ़ी घड़ी की कहानी : एक दिन एक नई घड़ी की मुलाकात एक बहुत पुरानी और बूढ़ी घड़ी से हो गई। बूढ़ी घड़ी की शक्ल देखकर ही पता चलता था कि वह काफी पुरानी है, लेकिन उसकी चाल में अब भी काफी चुस्ती थी।
नई घड़ी ने बूढ़ी घड़ी से पूछा, “दादी, आपकी उम्र कितनी होगी?”
बूढ़ी घड़ी ने टिक-टिक करते हुए उत्तर दिया, “बेटी, यही कोई 25-30 साल तो हो ही गए होंगे।”
नई घड़ी हैरानी से बोली, “बाप रे! इतनी उम्र में भी आप इतनी चुस्ती से चल रही हैं! क्या इतने साल चलते-चलते आप थकी नहीं?”
बूढ़ी घड़ी ने आत्मविश्वास से उत्तर दिया, “नहीं बेटी, अभी क्यों थकने लगी? अभी तो मैं कई वर्षों तक इसी तरह टिक-टिक करती रहूंगी।”
नई घड़ी ने अपनी सुस्त चाल के साथ कहा, “पर दादी, मेरी उम्र तो अभी सिर्फ छह महीने ही है, और मुझे अभी से थकावट होने लगी है।”
बूढ़ी घड़ी ने हैरानी से पूछा, “वह क्यों?”
नई घड़ी ने धीरे से उत्तर दिया, “जब से मुझे यह पता चला है कि मुझे भी कई वर्षों तक लगातार टिक-टिक करना होगा, तो यह सोचकर ही मेरा साहस जवाब देने लगा है कि पता नहीं मैं इतना चल भी पाऊंगी या नहीं।”
बूढ़ी घड़ी मुस्कुराई और बोली, “बस, यही वह कारण है जिससे तुम्हारा साहस ढह रहा है। बेटी, करोड़ों बार टिक-टिक करने की संख्या सोचकर ही तुझे यह काम बोझ लगने लगा है। मगर मैंने अपने जीवन में कभी ऐसा नहीं सोचा। मैं तो बस यही सोचती हूं कि मुझे एक मिनट में केवल 60 बार टिक-टिक करना है। इस तरह मैं हर मिनट पूरी उत्साह के साथ चलती हूं। एक मिनट चलने के बाद मैं अगले मिनट के लिए फिर तैयार हो जाती हूं। इसी तरह मुझे पता ही नहीं चला कि कब 25-30 साल बीत गए।
याद रखो, अक्सर लोग भी अपने काम को बड़ा और मुश्किल सोचकर ऊबने लगते हैं। अगर अपने काम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर किया जाए, तो कोई भी काम मुश्किल नहीं लगता।”
बूढ़ी घड़ी की बात नई घड़ी के दिल को छू गई। उसने यह बात गांठ बांध ली और अब वह भी पूरे जोश और उत्साह के साथ चलने लगी।
शिक्षा:
काम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर किया जाए, तो न केवल वह आसान लगता है, बल्कि उसे पूरे जोश और उत्साह के साथ किया जा सकता है।
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