चतुर किसान : किसी समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक चतुर किसान रहता था, जिसका नाम रघु था। रघु बहुत ही मेहनती और ईमानदार व्यक्ति था, लेकिन उसका खेत बहुत छोटा था, जिससे उसकी फसलें ज्यादा नहीं हो पाती थीं। उसके पास इतने साधन भी नहीं थे कि वह अपने खेत का विस्तार कर सके। गाँव के कुछ लोग उसकी स्थिति देखकर मजाक उड़ाते थे, लेकिन रघु ने कभी हार नहीं मानी। वह हमेशा नई योजनाओं पर विचार करता रहता था कि कैसे वह अपने छोटे से खेत में अधिक फसल उगा सके।
समस्या का हल खोजने की कोशिश
एक दिन, गाँव के मुखिया ने घोषणा की कि गाँव में एक नया तालाब बनाया जाएगा और तालाब खोदने का ठेका रघु को दिया जाएगा। रघु के लिए यह एक सुनहरा मौका था। तालाब से निकलने वाली मिट्टी को वह अपने खेत में इस्तेमाल कर सकता था, जिससे उसकी जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ सकती थी।
रघु ने तालाब खोदने का काम पूरी लगन से शुरू किया। उसने सोच-समझकर तालाब खोदने के दौरान निकली मिट्टी को अपने खेत में फैलाना शुरू किया। तालाब भी बन गया और रघु के खेत की मिट्टी भी समृद्ध हो गई। गाँव के लोग उसकी इस समझदारी पर हैरान थे, लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि रघु ने इतनी समझदारी से यह काम कैसे किया।
गाँव के लोगों का चौंकना
जब गाँव के लोग रघु के खेत को देखने गए, तो उन्होंने देखा कि उसका खेत अब पहले से कहीं ज्यादा उपजाऊ हो गया था। फसलें हरी-भरी और लहलहा रही थीं। गाँव के लोगों ने रघु से पूछा, "तुमने यह कैसे किया?" रघु ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, "मैंने बस अपनी मेहनत और बुद्धिमानी का सही इस्तेमाल किया। तालाब खोदते समय निकली मिट्टी को मैंने अपने खेत में डाल दिया, जिससे मेरी जमीन उपजाऊ हो गई।"
गाँव के लोग रघु की इस चतुराई से बहुत प्रभावित हुए और उसकी तारीफ करने लगे। रघु ने उन्हें समझाया, "मेहनत और बुद्धिमानी, जब साथ में काम करते हैं, तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता।"
चतुर किसान की कहानी से सीख:
रघु की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत के साथ-साथ बुद्धिमानी का उपयोग करना भी आवश्यक है। यदि हम अपनी समस्याओं का हल सोच-समझकर निकालें, तो हम किसी भी परिस्थिति में सफल हो सकते हैं। चतुराई और मेहनत का सही मेल ही हमें जीवन में आगे बढ़ाता है।