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रोटी का टुकड़ा और सच्ची दोस्ती
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नमस्ते प्यारे दोस्तों! आज हम एक ऐसी कहानी सुनेंगे, जो हमें सिखाएगी कि सच्ची दोस्ती और ईमानदारी जीवन में कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। यह कहानी है दो प्यारे दोस्तों की, जो एक गाँव में रहते थे। उनके पास भले ही ज़्यादा कुछ न हो, लेकिन उनके पास एक ऐसी चीज़ थी जो सबसे कीमती थी - उनकी दोस्ती।
दो प्यारे दोस्त: सोहन और मोहन
एक छोटे से गाँव में सोहन और मोहन नाम के दो दोस्त रहते थे। सोहन बहुत मेहनती था और उसके पास एक बड़ा खेत था, जबकि मोहन थोड़ा गरीब था और उसके पास बस एक छोटी-सी झोपड़ी थी। उन दोनों की दोस्ती बहुत गहरी थी। वे साथ में खेलते, हँसते और हर सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ देते थे।
एक दिन, गाँव में भयंकर अकाल पड़ गया। बारिश न होने के कारण खेत सूख गए और खाने की चीज़ों की कमी हो गई। गाँव के लोग परेशान थे। सोहन के पास भी अब सिर्फ एक रोटी बची थी। वह भी बहुत भूखा था। उसने सोचा कि वह उस रोटी को खाकर अपनी भूख मिटा ले, पर उसे अपने दोस्त मोहन की याद आई।
मुश्किल का समय और एक बड़ा फैसला
सोहन ने सोचा, "मैं तो एक दिन भूखा रह लूँगा, पर मेरे दोस्त का क्या होगा? कहीं वह भी भूखा न हो।"
बिना कुछ सोचे, सोहन अपनी आखिरी रोटी लेकर मोहन की झोपड़ी की ओर भागा। उसने मोहन को आवाज़ दी, "मोहन, मेरे दोस्त! जल्दी बाहर आओ।"
मोहन बाहर आया और सोहन को देखकर हैरान हो गया। सोहन ने कहा, "मोहन, देखो मेरे पास क्या है! यह मेरी आखिरी रोटी है और मैं चाहता हूँ कि तुम इसे खा लो।"
मोहन की आँखों में आँसू आ गए। "नहीं दोस्त! यह तुम्हारी आखिरी रोटी है। तुम इसे खाओ," मोहन ने कहा।
लेकिन सोहन ने ज़िद की। "अगर तुम इसे नहीं खाओगे, तो मैं भी नहीं खाऊँगा," उसने कहा। दोनों दोस्त उस रोटी के टुकड़े को एक-दूसरे की ओर बढ़ाते रहे।
रोटी का टुकड़ा और सच्ची दोस्ती
तभी एक बूढ़ा व्यक्ति वहाँ से गुज़रा, जिसने उन दोनों को बहस करते हुए देखा। वह उनके पास आया और पूछा, "तुम दोनों इतनी मुश्किल में क्यों हो? और यह क्या है?"
उन्होंने सारी बात बताई। बूढ़ा व्यक्ति मुस्कुराया और बोला, "बच्चों, तुम दोनों ने मुझे दोस्ती का सबसे बड़ा सबक सिखाया है। दोस्ती का मतलब सिर्फ साथ रहना नहीं, बल्कि मुश्किल में एक-दूसरे की मदद करना भी होता है।"
उसने अपने झोले से दो और रोटियाँ निकाली और उन दोनों को दीं। बूढ़े व्यक्ति ने कहा, "तुम दोनों इस तरह अपनी दोस्ती को कायम रखना। यही सच्ची दौलत है।"
सोहन और मोहन ने बूढ़े व्यक्ति का धन्यवाद किया और तीनों ने मिलकर वे रोटियाँ खाईं। उस दिन से, उन्होंने प्रण लिया कि वे हमेशा एक-दूसरे के साथ रहेंगे और अपनी दोस्ती को कभी टूटने नहीं देंगे।
इस कहानी से सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची दोस्ती वो है, जहाँ हम अपने दोस्त की ज़रूरत को अपनी ज़रूरत से ज़्यादा महत्व देते हैं। ईमानदारी और निस्वार्थ भाव से की गई मदद हमेशा हमें खुशी और संतुष्टि देती है। रोटी का एक छोटा-सा टुकड़ा भले ही आपकी भूख मिटा दे, लेकिन सच्ची दोस्ती आपकी ज़िंदगी को खुशहाल बना सकती है।
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