क्रिसमस की सच्ची खुशी - एक शहर में रोज़ी नाम की एक प्यारी लड़की रहती थी। क्रिसमस के दिन की तैयारियाँ जोरों पर थीं। विद्यालय से लौटते ही, रोज़ी ने सोफे पर अपना बस्ता फेंका और फ़ोन मिलाना शुरू कर दिया।
"पहले कपड़े बदल लो, फिर फोन करना," माँ ने दरवाजा बंद करते हुए कहा।
"ओह, माँ!" रोज़ी ने जवाब दिया, लेकिन उसने फोन करना जारी रखा।
टेलीफोन पर बात करते हुए उसने अपने पिताजी को याद दिलाया, "पिताजी, आज आप वादा करके आए हैं कि मुझे क्रिसमस की खरीदारी के लिए बाजार लेकर जाएंगे।"
पिताजी ने हँसते हुए जवाब दिया, "हाँ, मुझे याद है। मैं वादा निभाऊंगा।"
शाम को रोज़ी अपने पिताजी के साथ बाजार गई। उन्होंने मिलकर क्रिसमस के लिए खिलौने, गुब्बारे, पटाखे, और एक सुंदर फ्रॉक खरीदी। घर लौटते समय, रोज़ी बेहद उत्साहित थी और अपनी सहेलियों को ये सब दिखाने की योजना बनाने लगी।
अगले दिन उसने अपनी सहेलियों को बुलाया। अर्चना, सीमा, आरती, और शिखा सभी सहेलियाँ आ गईं। रोज़ी ने अपनी खरीदी गई सभी चीजें दिखानी शुरू की। हर कोई सामान देखकर तारीफ कर रहा था। जब उसने अपनी नई फ्रॉक दिखाई, तो शिखा की आँखें चमक उठीं। लेकिन उसके चेहरे पर हल्की उदासी भी थी।
शिखा ने धीरे से कहा, "तुम्हारी फ्रॉक बहुत सुंदर है। काश मेरे पास भी ऐसी फ्रॉक होती। लेकिन पिताजी की आय कम है और हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं।"
रोज़ी को शिखा की बात सुनकर अजीब सा महसूस हुआ। सभी सहेलियाँ चली गईं, लेकिन शिखा की बातें रोज़ी के दिल में घर कर गईं।
रात को रोज़ी ने माँ और पिताजी से पूछा, "क्या मैं अपनी फ्रॉक शिखा को दे सकती हूँ? उसे मेरी फ्रॉक बहुत पसंद आई है, लेकिन वह खरीद नहीं सकती।"
माँ मुस्कुराईं और बोलीं, "फ्रॉक तुम्हारी है, निर्णय भी तुम्हारा होना चाहिए। लेकिन याद रहे, इसके बदले में हम तुम्हें दूसरी फ्रॉक नहीं दिलाएंगे।"
रोज़ी ने तुरंत फैसला किया, "ठीक है, माँ! मैं शिखा को अपनी फ्रॉक दे दूँगी।"
क्रिसमस के दिन रोज़ी ने अपनी फ्रॉक एक सुंदर पैकेट में रखी और शिखा के घर पहुँच गई। उसने उसे भेंट दी। शिखा फ्रॉक पाकर बेहद खुश हुई। उसकी खुशी देखकर रोज़ी के दिल को सुकून मिला।
जब रोज़ी घर लौटी, तो माँ-पिताजी उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। माँ ने कहा, "जाओ, तैयार हो जाओ। चर्च जाना है।"
रोज़ी अपनी अलमारी खोलने गई तो देखा कि उसमें माँ-पिताजी की ओर से एक उपहार रखा था। उसमें पहले वाली फ्रॉक से भी सुंदर फ्रॉक थी।
उसकी आँखें खुशी से भर आईं। उसने फ्रॉक को देखा और सोचा, "सच्चा उपहार वही होता है, जिसमें प्रेम और करुणा का भाव छिपा हो।"
कहानी का सार:
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि सच्ची खुशी दूसरों की मदद करने और उन्हें खुश देखकर मिलती है। जब हम अपना कुछ त्याग करते हैं, तो वह त्याग हमारे जीवन को और भी अर्थपूर्ण बना देता है।