"वीर चेतक: महाराणा प्रताप का अमर साथी" वीर चेतक- लोटपोट के बाल साथियों, घोड़े के बारे में चर्चा करना अपने आप में विशेष बात नहीं है, पर यहाँ तुम्हारा परिचय ऐसे घोड़े से करा रहा हूँ जिसका नाम इतिहास में दर्ज है। इस 'ऐतिहासिक घोड़े' का नाम चेतक है। By Lotpot 22 Aug 2024 in Moral Stories New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 वीर चेतक- लोटपोट के बाल साथियों, घोड़े के बारे में चर्चा करना अपने आप में विशेष बात नहीं है, पर यहाँ तुम्हारा परिचय ऐसे घोड़े से करा रहा हूँ जिसका नाम इतिहास में दर्ज है। इस 'ऐतिहासिक घोड़े' का नाम चेतक है। चेतक की याद में उदयपुर (राजस्थान) से 44 किलोमीटर दूर हल्दीघाटी में एक छतरीनुमा स्मारक बनाया गया है। चेतक नामक इस घोड़े को मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप ने एक अरबी व्यापारी से खरीदा था। उस व्यापारी के पास नतक और चेतक नामक दो घोड़े थे। व्यापारी ने दोनों घोड़ों की वीरता और गुणों की चर्चा महाराणा प्रताप से की। महाराणा ने इनमें से किसी एक घोड़े के करतब देखने की इच्छा जताई। नतक ने साहस भरे करतब दिखाए, लेकिन इस दौरान वह घायल हो गया। नतक की वीरता से प्रभावित होकर राणा ने चेतक को खरीद लिया। चेतक महाराणा प्रताप का सर्वप्रिय घोड़ा था। उसने अनेक लड़ाइयों में महाराणा का साथ दिया। हल्दीघाटी के युद्ध में, जहां महाराणा प्रताप और मुगल सेना के बीच संघर्ष हो रहा था, मुगल सेना का नेतृत्व मानसिंह कर रहे थे। युद्ध में चेतक के चेहरे पर हाथी के मुखौटे का आवरण लगा दिया गया था। चेतक ने मानसिंह के हाथी के मस्तक पर अपने पैर अड़ा दिए। महाराणा ने मानसिंह पर भाले से वार किया, पर इस संघर्ष के दौरान चेतक और महाराणा दोनों घायल हो गए। चेतक की एक अगली टांग बुरी तरह से घायल हो गई, लेकिन उसने अपने स्वामी की जान बचाने के लिए अपने प्राणों की परवाह किए बिना, महाराणा को पूरी गति से युद्ध स्थल से बाहर निकाला। रास्ते में आए एक नाले को भी उसने अपने दर्द को भुलाकर पार कर लिया। चेतक ने महाराणा प्रताप की जान बचाकर अपनी वीरता और स्वामीभक्ति की ऐसी मिसाल कायम की जो इतिहास में दूसरी नहीं मिलती। वीरगति प्राप्त करने के बाद, चेतक के विछोह में कभी न रोने वाले महाराणा की आँखों से भी आंसू निकल आए। चेतक की स्मृति में उदयपुर में मोतीमगरी पहाड़ी पर उसका भव्य अष्टधातु का स्मारक बनाया गया है। यह कहानी वीर चेतक के साहस और महाराणा प्रताप के प्रति उसकी अविचल भक्ति को दर्शाती है, जो आज भी इतिहास के पन्नों में अमर है। प्रेरणादायक बाल कहानी यह भी पढ़ें:- प्रेरणादायक कहानी: दानवीर राजा की परीक्षा हिंदी प्रेरक कहानी: चाटुकारों का अंत हिंदी प्रेरक कहानी: ये खेत मेरा है Motivational Story: रजत का संकल्प #Maharana Pratap You May Also like Read the Next Article