Moral Story: मनीप्लांट की चोरी

पप्पी के घर में एक बड़ी फूलों की बाड़ी थी। बाड़ी में तरह तरह के रंग बिरंगे फूलों के अनेक पौधे लगे थे। गुलाब, चम्पा, चमेली, रात की रानी के फूलों की खुशबू से उनका सारा घर महकता रहता था।

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मनीप्लांट की चोरी

Moral Story मनीप्लांट की चोरी:- पप्पी के घर में एक बड़ी फूलों की बाड़ी थी। बाड़ी में तरह तरह के रंग बिरंगे फूलों के अनेक पौधे लगे थे। गुलाब, चम्पा, चमेली, रात की रानी के फूलों की खुशबू से उनका सारा घर महकता रहता था। छुट्टी का दिन था, पप्पी अपनी बाड़ी में टहल रहा था। (Moral Stories | Stories)

पप्पी! तभी उसे आवाज सुनाई दी। बाहर से उसके मित्र प्रदीप ने उसे आवाज दी। पप्पी, प्रदीप को अपनी बाड़ी में ले आया और क्यारी में खिले फूल दिखाते हुए कहने लगा-‘देखो प्रदीप हमारी क्यारी में कितने अच्छे फूल खिले हैं।’ पसन्द आये तुम्हें? 

प्रदीप कुछ देर सोचकर बोला- ’हाँ, फूल तो बड़े अच्छे हैं। लेकिन...

‘‘लेकिन क्या’’ पप्पी ने उत्तेजना से कहा। (Moral Stories | Stories)

“तुम्हारी बाड़ी में मनीप्लांट तो है ही नहीं। पप्पी ने अचरज से पूछा- ये मनीप्लांट क्या होता है यार!

मनीप्लांट ‘धन का पौधा’ होता है। जिसके घर में मनीप्लांट होता है उस घर में खूब पैसा आता है। प्रदीप ने अपनी बात पूरी की।

‘‘अच्छा! ‘‘लेकिन यार यह पौधा मिलेगा कहाँ? पप्पी ने प्रदीप से पूछा। (Moral Stories | Stories)

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प्रदीप ने धीरे से कहा- तुम्हारे सामने शर्मा अंकल रहते हैं, उनके गार्डन में मनीप्लांट की बहुत बड़ी बेल है। पप्पी जल्दी से बोला ‘अरे यार’ शर्मा अंकल से तो मैं मनीप्लांट मांग लाऊँगा। तभी प्रदीप ने पप्पी को समझाते हुए कहा- ‘पर मनीप्लांट चुरा कर लगाया जाता है।’

पप्पी ने प्रश्न किया, ‘क्यों?’ (Moral Stories | Stories)

‘खरीद कर या माँग कर लगाया गया मनीप्लांट मुरझा जाता है। इसलिए इसे चुरा कर लगाया जाता है।‘

पप्पी ने मनीप्लांट के बारे में इतनी बड़ी बड़ी बातें सुनी तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उसने मन ही मन यह निश्चय कर लिया कि वह शर्मा अंकल के गार्डन में से अवश्य ही मनीप्लांट चुरा कर लाएगा। चाहे इसके लिए चोरी ही क्यों न करनी पड़े। (Moral Stories | Stories)

पप्पी शर्मा अंकल के घर से मनीप्लांट चुराने की तरकीब सोचने लगा। लेकिन अंकल के स्वभाव से...

पप्पी शर्मा अंकल के घर से मनीप्लांट चुराने की तरकीब सोचने लगा। लेकिन अंकल के स्वभाव से वह परिचित था। वे बड़े क्रोधी स्वभाव के थे। साथ ही साथ उनका काला कुत्ता ‘रक्षक’ जो बहुत ही खूँखार था। वह हमेशा खुला रहता था। (Moral Stories | Stories)

आखिर एक दिन पप्पी को मौका मिल ही गया। शर्मा अंकल अपने कुत्ते रक्षक को घुमाने बाहर ले गए थे। और शर्मा आंटी गार्डन में बैठी सब्जी काट रहीं थीं। पप्पी ने सोचा, इससे बढ़िया मौका मिलना मुश्किल है। आज ही मनीप्लांट चुरा लिया जाए। यह सोचकर वह चुपचाप गार्डन में घुसा और मनीप्लांट की बेल तोड़ने लगा।

पौधों की सरसराहट सुनकर शर्मा आंटी चैकीं। वह जोर से बोलीं, ‘कौन है?’ (Moral Stories | Stories)

इतना सुनना था कि पप्पी के हाथ पाँव फूल गये। उसने भागने की कोशिश की, लेकिन तब तक शर्मा आंटी वहाँ पहुँच चुकी थीं। उन्होंने बड़े आश्चर्य से कहा अरे! पप्पी तुम, यहाँ क्या, कर रहे हो।

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पप्पी हकलाते हुए बोला, जी.....जी..... कुछ नहीं । जब आंटी ने दुबारा जोर से पूछा तो पप्पी रूआंसा होते हुए बोला जी मैं मनीप्लांट उखाड़ रहा था।

पप्पी थोड़ी देर चुप रहा फिर बोला जी.....जी...... ‘मनीप्लांट चुराकर लगाया जाता है न! और इसको लगाने से खूब पैसे आते है न!’ पप्पी धीरे से बोला। (Moral Stories | Stories)

पप्पी की बात सुनकर आंटी ने एक जोरदार ठहाका लगाया। फिर धीरे से बोलीं, ‘वाह भाई वाह! तुमने तो हमें बड़ी जोरदार बात बताई।‘ फिर उन्होंने कहा- ’ये बात तुझे किसने बताई। पप्पी झट से बोला-प्रदीप ने। उसने सोचा शायद चोरी का सारा इल्जाम प्रदीप के माथे पड़ जाएगा। आंटी बोली जा कल प्रदीप और तू मेरे घर आना मैं तुम्हें मनीप्लांट दूँगी।

पर आना जरूर, नहीं तो मैं तुम्हारी शिकायत अंकल से कर दूँगी। पप्पी खुशी से बोला, जरूर आऊँगा आंटी जरूर.......

पप्पी खुशी खुशी घर लौटा और उसने प्रदीप को सारी बात बतायी। (Moral Stories | Stories)

दूसरे दिन दोनों शर्मा आंटी के घर गए। सबसे पहले उन्होंने दोनों को नाश्ता कराया फिर दोनों को समझाते हुए बोलीं, देखो बेटा! मनीप्लांट लगाने से घर में पैसा नहीं आता है। अगर ऐसा होता तो सभी आदमी अपने घरों में मनीप्लांट लगा लेते और बिना काम धाम किये हुए पैसे वाले बन जाते। अब तुम ही देखो, तुम्हारे शर्मा अंकल सुबह आठ बजे फैक्टरी जाते हैं और शाम को छः बजे घर लौटते हैं। जबकि हमारे घर में तो मनीप्लांट की इतनी बड़ी बेल है। देखो बेटा! पैसा मेहनत करने से मिलता है, चुराकर मनीप्लांट लगाने से नहीं समझे! (Moral Stories | Stories)

आंटी ने दोनों को मनीप्लांट का एक एक पौधा दिया, और कहा, जाओ बेटा, इसे अपने घर पर गमलों में लगा दो। और कसम खाओ कि अब भविष्य में कभी भी चोरी नहीं करोगे, चोरी करना गंदी बात है।

शर्मा आंटी की बात दोनों को समझ में आ गई थी। दोनों बड़े खुश थे। (Moral Stories | Stories)

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