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आशु की होशियारी
Motivational Story आशु की होशियारी:- सर्दियों के दिन थे, आशू अपने घर की छत पर धूप में बैठकर पढ़ाई कर रहा था। उसके घर के ठीक बगल में रमा आंटी का घर था। रमा आंटी की बेटी मंजरी आशू के स्कूल में ही पढ़ती थी और इस समय वह भी अपनी छत पर छह माह के भाई गोलू के साथ खेल रही थी। (Motivational Stories | Stories)
रमा आंटी भी अपने बच्चों के साथ छत पर धूप का आनन्द ले रहीं थी और स्वेटर बुन रहीं थी। आशू का ध्यान पढ़ते हुए बार-बार उस तरफ चला जा रहा था। अचानक उसने देखा कि रमा आंटी उठ कर नीचे चली गई हैं। शायद उन्हें कोई जरूरी काम याद आ गया था।
नीचे जाने से पहले रमा आंटी ने मंजरी से कहा था कि वह छोटे भाई का ख्याल रखे मंजरी ने 'हाँ' मे सिर हिलाया और भाई के साथ गेंद खेलने लगी। मंजरी गेंद को हवा में उछाल रही थी, जिसे देखकर गोलू खुश हो कर उसे लपकने की कोशिश करता, अचानक गेंद उछलकर सीढ़ियों की तरफ चली गई मंजरी गेंद पकड़ने के लिए लपकी तब तक लुढ़कती हुई गेंद सीढ़ियों से नीचे चली गई। गेंद के पीछे मंजरी भी सीढ़ियां उतरती चली गई उसे यह ध्यान ही नहीं रहा कि छत पर छोटा भाई अकेला है और मां ने उसे वहां से हटने को मना किया था। (Motivational Stories | Stories)
बहन को सीढ़ियों से नीचे जाते देखकर गोलू भी सीढ़ियों की तरफ सरकने लगा। यह देखकर आशू घबरा गया और अपनी छत की मुंडेर पर आ गया। उसने गोलू को पुकार कर उसका ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहा। गोलू ने गर्दन घुमाकर उसकी तरफ देखा, मुस्कुराया और फिर से सीढ़ियों की तरफ रेंगने लगा, आशू ने चिल्लाकर गोलू को आगाह करना चाहा 'गोलू, उधर मत जाओ! नीचे गिर जाओगे, रूक जाओ, पर अबोध गोलू आने वाले खतरे से बिल्कुल अनजान था।
आशू ने रमा आंटी और मंजरी को आवाजें दीं, पर उसका स्वर शायद उन दोनों तक नहीं पहुंच पाया...
आशू ने रमा आंटी और मंजरी को आवाजें दीं, पर उसका स्वर शायद उन दोनों तक नहीं पहुंच पाया। आशू की समझ में नहीं आया कि अब क्या करे। इतना समय भी नहीं था कि वह भाग कर नीचे जाए और रमा आंटी को खतरे की सूचना दे सके।
असहाय से आशू ने इधर उधर देखा गोलू को बचाने के लिये क्या वह कुछ नहीं कर पाएगा। उसके और रमा आंटी के घरों के मध्य एक संकरी गली थी। बीच में कम से कम छह फीट का फासला था। तभी आशू की निगाह अपनी छत पर रखे लकड़ी के फट्टों के ढेर पर जा पड़ी, वह दौड़कर उस तरफ गया। उसने एक लंबे से फट्टे को उठा लिया। फट्ठा काफी भारी थी। आशू फट्ठा खींच कर मुंढेर तक ले आया, फिर उसे मुंडेर से टिका कर रमा आंटी के छत की मुंडेर से जा लगा। (Motivational Stories | Stories)
आशू की आंखे खुशी से चमक उठीं। अब वह फट्टे पर चढ़कर रमा आंटी की छत पर आराम से पहुंच सकता था। वह सावधानी से फट्टे पर चढ़ गया और अपना संतुलन बनाने लगा। अगर वह जरा भी लड़खड़ाया तो सीधा गली में जा गिरेगा पर वह घबराया नहीं और धीरे धीरे एक-एक कदम उठाता हुआ आगे बढ़ने लगा। उसे तो हर हालत में गोलू को बचाना था, जो अब सीढ़ियों के एकदम करीब पहुंच चुका था।
आखिर में आशू रमा आंटी की छत पर पहुंच ही गया और उसने दौड़ कर गोलू को गोद में उठा लिया। इसी समय रमा आंटी सीढ़ियों से ऊपर चली आईं वह आशू को अपनी छत पर पाकर और गोलू को सीढ़ियों के पास से उठाते देखकर सब कुछ समझ गई थीं। (Motivational Stories | Stories)
ओह! आशू बेटे, तुमने अपनी जान खतरे में डाल कर मेरे गोलू को बचा लिया। अगर तुम न आते तो... कहते कहते रमा आंटी की आंखों मे आंसू उमड़ पड़े और उन्होंने आशू को गले से लगा लिया। (Motivational Stories | Stories)
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