Motivational Story: मैं गपोड़ी नहीं उसका नाम वीर बहादुर था दुबली-पतली काया और नाटे कद का स्वामी वीर बहादुर राधेपुर गांव में रहता था। वह दुनिया में अकेला था न मां बाप। पत्नी और बच्चे भी नहीं, कोई कहता कि उसने शादी नहीं की तो कोई पत्नी के चल बसने की बात कहता। By Lotpot 05 Mar 2024 in Stories Motivational Stories New Update मैं गपोड़ी नहीं Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Motivational Story मैं गपोड़ी नहीं:- उसका नाम वीर बहादुर था दुबली-पतली काया और नाटे कद का स्वामी वीर बहादुर राधेपुर गांव में रहता था । वह दुनिया में अकेला था न मां न बाप। पत्नी और बच्चे भी नहीं, कोई कहता कि उसने शादी नहीं की तो कोई पत्नी के चल बसने की बात कहता। (Motivational Stories | Stories) वीर बहादुर का कहना था कि वह सेना में था लोग बाग उससे पूछते कि तुम्हें पेशन क्यों नहीं मिलती, तो वह टाल जाता बच्चे उससे बहुत खुश रहते जब भी मौका मिलता वे वीर बहादुर को घेर लेते और उससे सेना के किस्से की बात छेड़ देते। फिर कया था! वीर बहादुर शुरू हो जाता कभी बीसीयों शत्रु-सैनिकों को मार भगाने का किस्सा सुनाता तो कभी अकेले ही चौकी को फतेह कर डालने का। उसका बोलने का लहजा भी कुछ अलग था इसलिए बच्चों को किस्से सुनने में और भी मजा आता। बच्चे अपने-अपने घरों से वीर बहादुर के लिए खाने को कुछ अवश्य लाते उससे उसका काम चल जाता। शाम ढलती तो जाकर चुपचाप राधेपुर में एक बड़े मंदिर के अहाते में खाली पड़ी कोठरी में जाकर सो जाता। (Motivational Stories | Stories) कभी-कभी दिल बहलाने के उद्देश्य से गांव के बड़े भी वीर बहादुर से किस्से सुन लेते। वीर बहादुर मुंह बना कर किस्से सुनाता तो वे हंसने लगते। अरे ओ गपोड़ी, तेरे पास कोई काम -धाम तो है नही मनगढन्त किस्से सुनाकर क्यों गांव के भोले-भाले बच्चों को बहलाता फिरता है? एक दिन मुखियाजी ने वीर बहादुर को डांटा। उस दिन से उसका नाम वीर बहादुर से बदल कर गपोड़ी हो गया। बच्चे उसे गपोड़ी कहते तो वह थोड़ा उदास हो जाता। एक दिन वह चौपाल पर... उस दिन से उसका नाम वीर बहादुर से बदल कर गपोड़ी हो गया। बच्चे उसे गपोड़ी कहते तो वह थोड़ा उदास हो जाता। एक दिन वह चौपाल पर अपनी बहादुरी का किस्सा सुना रहा था, तभी किसी शरारती लड़के ने उसके पास हूबहू असली दिखाई देने वाला चाबी से चलने वाला चूहा रख दिया। (Motivational Stories | Stories) 'ब....बचाओ ...च....च..चूहा!' वीर बहादुर उसे देख उछल पड़ा तो बच्चे खूब हंसे 'हमसे कहते हो कि युद्ध में तुमने शत्रुओं को मार भगाया और यहां चाबी के चूहे से डर गये! यही है तुम्हारी बहादुरी' देखो, मुझे गलत मत समझो चूहे से मैं बचपन से ही डरता हूँ, वह बोला। पर इस घटना के बाद किसी ने उसके किस्सों पर विश्वास करना तो दूर सुनना भी बंद कर दिया। वह सुनाने बोलता तो बच्चे उस पर “गप्प मत सुना" कहकर हंसते। बेचारा वीर बहादुर इस डर से अपनी कोठरी में बंद ही रहता बाहर बच्चे उसे चिढ़ाते, कोई कोठरी में दया दिखाकर सूखी-बासी रोटियां दे जाता तो वह खा लेता। एक दिन गांव में कहीं से 2-3 डाकू घुस आये। वे घोड़ों पर सवार थे, उन्होंने बंदूक दिखाकर गांव कें घरों में लूटपाट शुरू कर दी, लूट माल पोटली में बांध कर वे जाने लगे डर के मारे सब गांव वाले अपने-अपने घरों में बंद दुबके हुए जान की खैर मना रहे थे। डाकूओं में से एक ने जाते-जाते मुखियाजी की बेटी रानो को उठा लिया और उसे लेकर जाने लगे। (Motivational Stories | Stories) रानो अपने बचाव के लिए बहुत चीख-चिल्ला रही थी। पर एक भी व्यक्ति आगे मुकाबले के लिए नहीं आया। सबको अपनी जान प्यारी थी हर कोई तमाशा देख रहा था कि तभी कोई चीते की तरह झपटा। उसने उस डाकू को घोड़े से नीचे गिरा दिया और उसकी बंदूक छीन ली। धाएं फायर की आवाज हुई, वह डाकू वहीं ढेर हो गया। “जा बेटी, अंदर जा!' उसने रानो को अपने घर भेज दिया अपने साथी को खोकर दूसरा डाकू वहां आया तो वह उससे भी निहत्था भिड़ गया। काफी देर तक दोनों गुत्थम गुत्था करते रहे तभी तीसरे डाकू ने गोली चला दी। गोली लगने पर भी वह हिम्मत नही हारा और डाकू को मार-मार कर अधमरा कर दिया। (Motivational Stories | Stories) तब तक गांव के 2-3 युवक भी वहां आ गये तीसरा डाकू जान बचाकर भाग गया। लूट के सामान की पोटली वहीं छोड़ गया। 'अरे! ये तो वीर बहादुर है। 'डाकुओं से लोहा लेने वाले को पहचानते ही सबके मुंह से निकल पड़ा। 'म....मैं ...गपोड़ी ... न ..नहीं , अब तो आप ...विश्वास ...' घायल वीर बहादुर अटकते हुए बोला, उसके शरीर से खून की धारा बह रही थी। नहीं, वीर बहादुर तुम तो अपने नाम की तरह ही वीर भी हो और बहादुर भी पूरे गांव को तुम पर गर्व है, मुखियाजी ने कहा तो उसके मुख पर हल्की मुस्कान झलक पड़ी। उसका सिर एक तरफ लुढ़क गया। राधेपुर गांव को अपने इस सपूत पर गर्व था उसकी याद में गांव के बीचों-बीच वीर बहादुर की प्रतिमा लगाई गई ताकि सभी को प्रेरणा मिलती रहे। (Motivational Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | bal kahani | bal kahani | Hindi Bal Kahaniyan | bal kahani | Hindi Bal Kahani | Bal Kahaniyan | kids hindi short stories | Short Motivational Stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Motivational Stories | kids hindi stories | kids motivational stories | Hindi Motivational Stories | Kids Stories | hindi stories | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | हिंदी कहानियाँ | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी | बच्चों की प्रेरक कहानियाँ यह भी पढ़ें:- Motivational Story: श्रोष्ठता Motivatinal Story: एक साधारण घटना Motivational story: कमल की बहादुरी Motivational Story: ख़ुशी की दस्तक #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Bal Kahaniyan #Hindi Bal Kahani #Kids Stories #kids motivational stories #बच्चों की प्रेरक कहानियाँ #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Hindi Motivational Stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #हिंदी कहानियाँ #kids hindi stories #छोटी कहानियाँ #छोटी कहानी #Short Motivational Stories #Kids Hindi Motivational Stories #Hindi Bal Kahaniyan #बाल कहानियां #kids hindi short stories #लोटपोट ई-कॉमिक्स #हिंदी बाल कहानियाँ You May Also like Read the Next Article