बाल कहानी : जादूगर की चुनौती बाल कहानी : (Hindi Child Story) जादूगर की चुनौती:- विजय नगर के राजा कृष्णदेव राय कला के पुजारी थे। उनके दरबार में अक्सर संगीतकार, कलाकार, जादूगर आदि आते रहते थे। राजा इस बात के लिए मशहूर थे कि वे हर कलाकार को अच्छा इनाम देते थे। By Lotpot 15 Feb 2021 | Updated On 15 Feb 2021 12:55 IST in Stories Moral Stories New Update बाल कहानी : (Hindi Child Story) जादूगर की चुनौती:- विजय नगर के राजा कृष्णदेव राय कला के पुजारी थे। उनके दरबार में अक्सर संगीतकार, कलाकार, जादूगर आदि आते रहते थे। राजा इस बात के लिए मशहूर थे कि वे हर कलाकार को अच्छा इनाम देते थे। एक बार उनके दरबार में एक जादूगर आया और कुछ जादू दिखाये। अपने हाथ के कमाल से उसने कुछ पत्थर सोने के सिक्कों में बदल दिये उन्होने अपने सहायक को भी सब के सामने दो हिस्सों में काट दिया और फिर उसे जोड़ भी दिया। फिर उसने ललकारा, ‘कोई जादूगर है यहां जो मेरा मुकाबला कर सके?’ राजा कृष्णदेव राय कुछ नहीं बोले लेकिन उनके मंत्री तेनाली राम को बहुत बुरा लगा। वे खड़े हुए और बोले, ‘मुझे तुम्हारी चुनौती मंजूर है। मै आँखे बंद कर के ऐसा चमत्कार दिखाऊंगा जो तुम आँखे खोल कर भी नहीं दिखा सकते। क्या तुम्हे मेरी चुनौती स्वीकार है’ और पढ़ें : शिक्षाप्रद बाल कहानी : मूर्खता की सजा जादूगर तेनाली राम के बुद्धिबल से पूरी तरह अनभिज्ञ था वह जोर से चिलाया, ‘यह क्या बेवकूफी भरी चुनौती है तुम ऐसा कौन सा कमाल दिखा सकते हो जो तुम आंखे बंद करके कर लोगे और मैं आंखे खोल कर भी नहीं कर पाऊंगा। तुम अभी मुझे अपना कमाल दिखाओ और मैं तुम्हे आंखे खोल के वही काम करके दिखाऊंगा। और अगर मैं ऐसा नहीं कर पाया, तो तुम मेरा सिर धड़ से अलग कर देना। और यही शर्त तुम पर भी लागू होगी। और पढ़ें : बाल कहानी : राशि की भूख हड़ताल राजा कृष्णदेव चिंतित हो उठे लेकिन फिर तेनाली राम ने तुरंत एक नौकर को बुलाया और उसको कान में कुछ निर्दश दिये। नौकर वहां से चला गया और कुछ देर में एक कटोरी मंे लाल मिर्च ले कर आ गया। तेनाली राम ने कटोरी में से एक मुट्टी मिर्च ली और अपनी बंद आँखों के ऊपर डाल ली। थोड़ी देर बाद उसने कपड़े से अपना मुंह पोछा, आँखें खोली और बोला, ‘चलो अब तुम्हारी बारी है। तुम्हें यही काम अपनी आंखें खोल कर करना है। और अगर तुम ऐसा नहीं करोगे तो तुम्हें पूरे दरबार के सामने अपनी हार कबूल करनी होगी।’ जादूगर की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। यह तो नामुमकिन था। अगर वह यह काम आंख खोल कर करता तो वह अंधा हो सकता था। वह यही सोच कर मजबूर हो गया। आगे बढ़ कर बोला, ‘मैं हार गया, तुम मेरा सिर धड़ से अलग कर दो।’ और पढ़ें : बाल कहानी : सुबह का भूला लेकिन तेनालीराम बहुत विशाल हृदय के थे। वे बोले ‘मुझे तुम्हारे सिर को धड़ से अलग करने का कोई शौक नहीं है। लेकिन बस तुम एक वचन दो कि फिर कभी इस तरह से डीगें नहीं हांकोगे।’ जादूगर की समझ में आ गया। वह बोला, ‘हां बिल्कुल, अब कभी ऐसा नहीं करूगां।’ उसने अपना सामान उठाया और महाराज को प्रणाम कर दरबार से बाहर चला गया। #बच्चों की कहानी #बाल कहानी #Lotpot Magazine #Best Hindi Story #Bal Kahania #Hindi Child Story #Lotpot Ki Bal Kahania You May Also like Read the Next Article