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मज़ेदार कहानी (Hindi Kids Story) : सपने में देखा खजाना - मुगल सिपहसालार शायस्त खाँ बड़ा बुद्धिमान था। उसे विज्ञान और कला से बड़ा प्रेम था। फुर्सत के क्षणों में वह कला और विज्ञान पर नई नई खोजें किया करता था।
एक दिन शायस्त खाँ ने सपना देखा, किसी किले में बहुत सा खज़ाना छिपा है।
दूसरे दिन उसने एक ज्योतिषी से स्वप्न के बारे में पूछा तो ज्योतिषी ने बताया। तुमने जो सपना देखा वह सच है। सात दिनों के अन्दर अन्दर तुम्हें यह भी विदित हो जाएगा कि वह खज़ाना कहाँ दबा है।
ठीक सातवें दिन शायस्त खाँ को एक जासूस ने बताया, पूना के चाकन दुर्ग में एक कुआँ ऐसा है जिसमें सोने चाँदी की सिल्लियाँ, सिक्के, व सोने की ठोस ईटें मौजूद हैं।
यह सुनकर शायस्त खाँ का चेहरा खुशी से चमक उठा। उसने जासूस को अपने गले का हीरे का हार निकाल कर इनाम में दे दिया।
फिर शायस्त खाँ ने खज़ाने के संदर्भ में विस्तार से जानकारी जाननी चाही तो जासूस ने बताया, चाकन दुर्ग के एक सैनिक से मेरी दोस्ती है। उसी सैनिक ने इस गुप्त खज़ाने का राज बताया है। यह खज़ाना दुर्ग के तोपखाने के नीचे एक सूखे कुँए में है।
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अब शायस्त खाँ किसी भी हालत में खजाना हथियाना चाहता था। खज़ाना हथियाने की धुन उसके मस्तिष्क में रम चुकी थी। उसने पाँच हज़ार सैनिकों का एक विशाल दल बनाया और फिर एक निश्चित दिन चाकन के दुर्ग में घेरा डाला।
चाकन का दुर्ग हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित था और इस पर पहुँचना बिल्कुल नामुमकिन समझा जाता था। सैनिक जैसे ही पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश करते, दुर्ग से तोपें विस्फोटक सामग्री उगलने लगती।
कई सैनिक तोप के गोलों से मारे गये। जगह जगह खून और लाशें दिखाई देने लगी। इतना होने पर भी शायस्त खाँ ने हिम्मत न हारी।
चूँकि शायस्त खाँ बुद्धिमान होने के साथ साथ विज्ञान प्रेमी भी था। सो उसके मस्तिष्क में एक बात उपजी। उसने एक बड़ा भारी गुब्बारा बनाया। जिसके नीचे जलती मशाल लगी थी।
फिर गुब्बारे को एक उड़ती पतंग की मजबूत डोर में बाँध दिया। पतंग को ढील देते ही वह हवा में उड़ते उड़ते हजार फीट ऊंचे चाकन दुर्ग पर मंडराने लगी।
इतने में एक सैनिक ने आकर सूचना दी, दुर्ग के दायें हिस्से में बारूद का विशाल भंडार है।
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यह खबर सुनकर शायस्त खाँ खुशी से फूला न समाया। उसने पतंग को बारूद के विशाल भंडार से आगे एक गोचमार कर बिठाया।
डोर के पीछे बँधे गुब्बारे में जलती मशाल लटकी थी। मशाल बारूद के भंडार में उजालदान से अन्दर जा गिरी।
बारूद का ढेर भख से उड़ गया। किला भी उड़ गया। पत्थरर्, इंट, आदमी के अंग, कबूतरों के समान आकाश में फैल गये। जो दुर्ग के रक्षक बचे थे। उन्होंने भय के मारे हथियार टेक दिये।
इस तरह विज्ञान प्रेमी शायस्त खाँ खज़ाना हथियाने में सफल हुआ और खज़ाने के संदर्भ में देखा सपना भी साकार हुआ।