बाल कहानी : अच्छा आदमी कौन? Moral Story : अच्छा आदमी कौन? - एक था राजा। एक बार उसने अपने दरबारियों से समक्ष एक सवाल रखा, अच्छा आदमी कौन है? जो अच्छा काम करे।कोई दरबारी बोला। जैसे? मैंने एक मन्दिर बनवाया है, जहां सैकड़ों लेाग रोज जाकर पूजा करते हैं। जनहित के लिए मैंने यह एक अच्छा कार्य किया है। अतएव मैं अच्छा आदमी कहलाने का अधिकारी हूँ। और किसने अच्छे अच्छे कार्य किए हैं? राजा ने अन्य दरबारियों से पूछा। By Lotpot 06 Jan 2021 | Updated On 06 Jan 2021 12:15 IST in Stories Moral Stories New Update Moral Story : अच्छा आदमी कौन? - एक था राजा। एक बार उसने अपने दरबारियों से समक्ष एक सवाल रखा, अच्छा आदमी कौन है? जो अच्छा काम करे। कोई दरबारी बोला। जैसे? मैंने एक मन्दिर बनवाया है, जहां सैकड़ों लेाग रोज जाकर पूजा करते हैं। जनहित के लिए मैंने यह एक अच्छा कार्य किया है। अतएव मैं अच्छा आदमी कहलाने का अधिकारी हूँ। और किसने अच्छे अच्छे कार्य किए हैं? राजा ने अन्य दरबारियों से पूछा। एक तालाब बनवाया है मैंने जिसमें आम लोग स्नान आदि करते हैं। दूसरे दरबारी ने कहा। और पढ़िए : बाल कहानी : राशि की भूख हड़ताल तीसरा दरबारी भी झट बोल उठा, मैंने राहगीरों के ठहरने के लिए एक धर्मशाला बनवाई है। यह भी एक नेक कार्य है। अतएवः मैं भी एक नेक आदमी की श्रेणी में आता हूँ फिर तो एक एक कर सभी दरबारियों ने अपना कुछ न कुछ अच्छा कार्य बताकर अपने को अच्छा आदमी सिद्ध करने की कोशिश की। मगर एक दरबारी चुपचाप बैठा रहा। वह कुछ भी नहीं बोला। राजा की निगाह उस पर गई। उसने उससे पूछा। आप चुप क्यों हैं? मैंने कभी कुछ नहीं बनवाया है। वह साफ बोला। फिर भी अपने जीवन में कुछ अच्छे कार्य तो जरूर किए होंगे। सोचकर कहिए राजा ने शान्त भास से पूछा। और पढ़ें : बाल कहानी: छोटी सी भूल एक बार पहाड़ी जंगल से होकर मैं गुजर रहा था कि कई डाकुओं ने मुझे घेर लिया। मेरे पास कुछ न पाकर क्रोध वश उन्होंने मुझे जान से मार डालना चाहा। मैंने उनसे कहा, मुझे दुख है कि मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है। हाँ, मेरी जान लेकर आप सब सुखी हो सको तो मैं अपनी जान सहर्ष देने के लिए तैयार हूँ। सोचता हूँ, चलो मेरा जीवन किसी के काम तो आया। मगर मृत्यु के पहले मेरी सलाह सुन लो, इससे मेरी आत्मा को शान्ति मिलेगी। कैसी सलाह? डाकू का सरदार बोला। लूटपाट और हत्या का कार्य इसके बाद आप सब बिल्कुल छोड़ देें। इतनी मेहनत अगर अच्छे कार्यो में करेंगे तो भगवान आपको और शान्ति देगा। मैं समझता हूं कि अब तक आप सबको लूटपाट और हत्या करके सच्चा सुख अपने जीवन में कभी नहीं पाया होगा। और न सच्ची शान्ति ही आप सब को कभी मिली होगी। मुझे जो कहना था, कह दिया। इसे मानना न मानना आप सब के ऊपर है। चलिए, अब मैं अपनी जान देने के लिए बिल्कुल तैयार हूँ। कहकर मैंने अपनी आँखे मूँद ली और भगवान से मन ही मन प्रार्थना करने लगा कि वह इन डाकुओं को सद्बुद्धि प्रदान करे। अगले ही क्षण डाकुओं का सरदार मेरे पैरों पर गिर पड़ा और बोला, आपने हमारी आँखें खोल दी। मैं अब आपकी जान नहीं लूँगा। आपकी नेक सलाह मुझे स्वीकार है। सचमुच लूटपाट और खून खराबे से हमें आजतक सिर्फ पेरशानी और अशान्ति ही मिली है। कभी सुख चैन से हम नहीं रहे। अब सब आपके सुझाव के अनुसार सही कार्य करके ही जीवन यापन करेंगे आज से यह कुंठित कार्य एकदम छोड़ देंगे। दरबारी ने राजा को बताया। और पढ़ें : Moral Story : चित्रकार की बेटियाँ दरबारी क्षण भर रूककर फिर बोला, और सचमुच उन सबने उस दिन से लूटने का काम करना छोड़ दिया। मेरे जीवन की यही एक स्मरणीय घटना है। इसमें अगर आपको कुछ अच्छाई नजर आए तो कहिए। अपनी बात खत्म कर वह दरबारी राजा की ओर देखने लगा। राजा थोड़ी देर चुप रहकर बोले, जो आदमी स्वयं को अच्छा और दूसरे को बुरा कहता हैं, दरअसल वह अच्छा आदमी है ही नहीं अच्छा वही है जो अपनी अच्छाई का बुरे आदमी पर ऐसा असर डाले कि वह अच्छा बन जाए। डाकुओं को अच्छाई की राह पकड़ा कर आपने जो नेक कार्य किया है। वह सचमुच आपको अच्छा आदमी सिद्ध करता है। इसे आप अत्युक्ति न समझें। अच्छे आदमी के सम्बन्ध में राजा की जो विचार धारा थी, उसने वहाँ मौजूद अन्य दरबारियों को जो अपने को अच्छा आदमी सिद्ध करने में लगे हुए थे, सबकी गलतफहमी दूर कर दी। Facebook Page #Moral Story #Hindi Best Stories #Lotpot Kahani #Bal Kahania You May Also like Read the Next Article