'द फ्लाइंग सिख' मिल्खा सिंह
मिल्खा सिंह (20 नवंबर 1929 - 18 जून 2021), जिन्हें "द फ्लाइंग सिख" के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय ट्रैक और फील्ड धावक थे, जो भारतीय सेना में सेवा करते समय इस खेल से परिचित हुए थे।
मिल्खा सिंह (20 नवंबर 1929 - 18 जून 2021), जिन्हें "द फ्लाइंग सिख" के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय ट्रैक और फील्ड धावक थे, जो भारतीय सेना में सेवा करते समय इस खेल से परिचित हुए थे।
भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में भला ऐसा कौन है जो विराट कोहली जैसे भारतीय क्रिकेटर के बारे में नहीं जानता। विराट कोहली भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज खिलाड़ी है।
Eric Hoffer : विख्यात दार्शनिक एरिक हॉफर बचपन से ही काफी मेहनती थे। वह कठिन से कठिन काम करने से भी नहीं घबराते थे। काम करते समय उन्हें परवाह भी नहीं होती थी कि उन्होंने खाना खाया है या नहीं।
लक्ष्मणराव काशीनाथ किर्लोस्कर: कम्पनी खड़ी करने वाले भारत के प्रसिध्द इंडस्ट्री, 'किर्लोस्कर ग्रुप' के बारे में विश्व में कौन नहीं जानता है। लेकिन इस इंडस्ट्री को सफलता की ऊंचाई तक पंहुचाने में किर्लोस्कर समूह के संस्थापक लक्ष्मणराव काशीनाथ किर्लोस्कर को किन किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था
सचिन तेंदुलकर पूरे पचास वर्ष के हो गए, यह वो क्रिकेटर हैं जिन्होंने विश्व के लाखों लोगों का दिल जीता है। उन्होंने अपने खेल करियर में कई ऐसी आश्चर्यजनक उपलब्धियां हासिल की हैं जो अब तक कोई भी क्रिकेटर नहीं कर पाया है। सचिन भारत की क्रिकेट टीम की रीढ़ और आत्मा की तरह हैं तथा उन्होंने कई रिकॉर्ड तोड़े हैं।
भारतीय बिजनेस टाइकून रतन टाटा (Ratan Tata) अपने सफल करियर और खुले हाथों से परोपकार करने के लिए जाने जाते हैं। एक बार उनसे एक रेडिओ इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि उनके जीवन में सबसे ज्यादा खुशी देने वाले पल कौन से थे?
Chilukuri Santhamma : मन में अगर हिम्मत, अनुशासन, समर्पण, दृढ़ संकल्प और मेहनत करने की भावना हो तो इंसान किसी भी उम्र में कामयाबी पा सकता है।
आज जहां युवा और बच्चे थोड़ी सी मेहनत करके थक हार जाते हैं वहीं हमारे देश की एक पीढ़ी अभी भी ऐसी है जो युवाओं को भी अपनी चुस्ती स्फूर्ति से पछाड़ सकते हैं। हम बात कर रहे हैं दिल्ली के नजफगढ देहात के मालिकपुर की रहने वाली 94 वर्ष की दादी भगवानी देवी डागर की जो अपनी सारी तकलीफ़ों को दूर भगाकर ऐसे ऐसे पॉसिटिव कार्य कर रही है जिससे उनके गांव का ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन हो रहा है।
भारत के द्वितीय प्रधान मंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री उन चंद लोगों में से गिने जाते हैं जो बेहद साधारण परिवार से होने के बावजूद देश के प्रधानमंत्री बने। उनका जन्मदिन दो अक्टूबर, महात्मा गांधी जी के साथ मनाया जाता है। दो अक्तूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में जन्में लाल बहादुर शास्त्री, साधारण, कद काठी के होने के बावजूद, अपनी सरलता, सच्चाई, जीवन की श्रेष्ठता, उच्च विचार, हर धर्म, हर वर्ग और हर भाषा के प्रति सम्मान तथा प्यार के कारण सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में मानवता के प्रतीक माने जाते हैं हैं। उनके द्वारा दिया गया नारा 'जय जवान, जय किसान' भारत की उन्नति का सशक्त मशाल बनकर विश्व भर में प्रसिद्ध हुआ और देश भक्ति का प्रतीक बन गया।