बाल कहानी: सोनू की सजा

शहर के एक छोटे से मोहल्ले में सोनू नाम का एक लड़का रहता था। सोनू को गैजेट्स और नई तकनीक से बहुत प्यार था। वह हमेशा अपने मोबाइल गेम्स और ऐप्स में ही व्यस्त रहता था, लेकिन स्कूल में मोबाइल ले जाना मना था

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Children story Sonu punishment
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बाल कहानी: सोनू की सजा- शहर के एक छोटे से मोहल्ले में सोनू नाम का एक लड़का रहता था। सोनू को गैजेट्स और नई तकनीक से बहुत प्यार था। वह हमेशा अपने मोबाइल गेम्स और ऐप्स में ही व्यस्त रहता था, लेकिन स्कूल में मोबाइल ले जाना मना था, इसलिए वह हमेशा अपने दोस्तों से तकनीक और गेम्स के बारे में ही बातें करता रहता था।

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एक दिन स्कूल में, टीचर ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की, "बच्चों, अगले हफ्ते शहर में एक विज्ञान प्रदर्शनी होने वाली है। हमें इसमें भाग लेना है और बेहतरीन मॉडल्स बनाने हैं।"

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सभी बच्चे बहुत उत्साहित थे, पर सोनू का ध्यान टीचर की बातों पर नहीं था। वह अपने मन में अपने पसंदीदा गेम के बारे में ही सोच रहा था। जब स्कूल की छुट्टी हुई और सोनू घर पहुंचा, तो उसने देखा कि उसके सारे दोस्त प्रदर्शनी के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं। सोनू को इस बात की कोई चिंता नहीं थी, वह बस अपने कमरे में जाकर मोबाइल गेम्स खेलने लगा।

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उसकी माँ ने देखा कि सोनू प्रदर्शनी की तैयारी करने की बजाय अपने गेम्स में व्यस्त है। माँ ने पूछा, "सोनू, क्या तुम विज्ञान प्रदर्शनी के लिए कुछ तैयार नहीं करोगे?"

सोनू ने बेपरवाही से जवाब दिया, "माँ, मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। मुझे बस अपने गेम्स से प्यार है।"

अगले दिन, जब सोनू स्कूल गया तो उसने देखा कि उसके सारे दोस्त अपने-अपने प्रोजेक्ट्स के साथ बेहद व्यस्त थे। उसे अचानक एहसास हुआ कि वह अकेला है जिसने कुछ भी तैयार नहीं किया है। उसने अपने दोस्तों से मदद मांगने की कोशिश की, लेकिन सब अपने-अपने काम में लगे थे।

प्रदर्शनी का दिन आ गया। सभी बच्चों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियों के साथ हिस्सा लिया। सोनू खाली हाथ खड़ा था। उसके टीचर ने पूछा, "सोनू, तुमने कोई तैयारी क्यों नहीं की?"

सोनू ने सिर झुका लिया और बोला, "मैंने अपना समय बस गेम्स में बर्बाद कर दिया, मैम।"

टीचर ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं, सोनू। यह भी एक सीख है। अब से तुम अपना समय अच्छे कामों में लगाओगे, है न?"

सोनू को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई, लेकिन उसने ठान लिया कि अब वह अपना समय सही तरीके से उपयोग करेगा। उसने घर जाकर अपनी माँ से कहा, "माँ, अब मैं अपने समय का सही उपयोग करूंगा और पढ़ाई के साथ-साथ अच्छी चीज़ों में भी मन लगाऊंगा।"

उस दिन से सोनू ने गैजेट्स का उपयोग कम कर दिया और पढ़ाई और खेलकूद में ज्यादा समय देने लगा। उसने समझ लिया कि असली खुशी और सफलता मेहनत और सही दिशा में समय लगाने से ही मिलती है।

बाल कहानी से सीख:

कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें तकनीक और गैजेट्स का उपयोग सही तरीके से करना चाहिए और अपने समय को सही दिशा में लगाना चाहिए। मेहनत और सही मार्गदर्शन से ही असली सफलता मिलती है।

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