आलसी भालू और मेहनती किसान की प्रेरक कहानी कहानी बंगाल के वीरभूमि जिले की है, जहाँ 5,000 साल पहले एक पहाड़ी इलाके में रामदेव नाम का एक युवक रहता था। गाँव उपजाऊ नहीं था, इसलिए जीवन यापन करना कठिन था। By Lotpot 12 Nov 2024 in Motivational Stories Moral Stories New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 मेहनत की मिठास: रामदेव और भालू की मजेदार कहानी कहानी बंगाल के वीरभूमि जिले की है, जहाँ 5,000 साल पहले एक पहाड़ी इलाके में रामदेव नाम का एक युवक रहता था। गाँव उपजाऊ नहीं था, इसलिए जीवन यापन करना कठिन था। रामदेव बचपन से ही तेज दिमाग का था, लेकिन जब वह बड़ा हुआ तो उसके माता-पिता का देहांत हो गया। अब उसके पास न खेती के लिए जमीन थी, न कोई हुनर और न ही व्यापार के लिए धन। रोजी-रोटी की चिंता उसे हर समय सताती रहती थी। रामदेव की खोज एक दिन रामदेव जंगल की ओर निकल पड़ा। घने जंगल में चलते-चलते वह एक खूबसूरत नदी के किनारे पहुँचा। वहाँ का दृश्य मनमोहक था — ऊँचे पहाड़, हरे-भरे पेड़ और रंग-बिरंगे फूल। उसने सोचा, "यहाँ पर शलजम की खेती की जाए तो अच्छी फसल हो सकती है।" अगले दिन रामदेव शलजम के बीज और हल लेकर वहाँ पहुँचा और बीज बोने लगा। तभी अचानक एक बड़ा भालू वहाँ आ गया और जोर से दहाड़ते हुए बोला, "किसान, यहाँ से भाग जाओ! यह मेरी जगह है। अगर तुमने यहाँ खेती की तो मैं तुम्हारी हड्डी-पसली तोड़ डालूँगा।" रामदेव की चतुराई पहले तो रामदेव डर गया, लेकिन उसने हिम्मत जुटाई और हाथ जोड़कर विनम्रता से बोला, "भालू भाई, अगर तुम मेरी मदद करो तो मैं तुम्हें भी शलजम खाने दूँगा।"भालू हँसते हुए बोला, "मैं मेहनत नहीं करता, मुझे पकी-पकाई चीजें पसंद हैं। अगर तुम मुझे बिना मेहनत आधी फसल दोगे, तो मैं तुम्हें यहाँ खेती करने दूँगा।" रामदेव ने सोचा और चतुराई से जवाब दिया, "ठीक है, फसल आधी-आधी बाँटेंगे। मैं जड़ें लूँगा और तुम पत्ते ले लेना।"भालू को यह सौदा ठीक लगा और वह पास के पेड़ पर जाकर शहद खाने लगा। पहली फसल की मिठास रामदेव ने दिन-रात मेहनत की, और जब फसल तैयार हो गई, तो उसने शलजम निकाले। भालू नीचे उतरा और बँटवारे की बात की। रामदेव ने सारी जड़ें अपने पास रखीं और पत्ते भालू को दे दिए। भालू ने पत्ते खाए और बड़बड़ाया, "तुमने धोखा किया! जड़ें तो मीठी हैं और पत्ते कड़वे।"रामदेव मुस्कराते हुए बोला, "भालू भाई, अगली बार मैं जड़ें तुम्हें दूँगा और पत्ते मैं लूँगा।" दूसरी फसल: मेहनत का फल इस बार रामदेव ने गेहूँ की फसल बोई। जब फसल तैयार हुई, तो भालू ने जोर देकर कहा कि वह जड़ें लेगा। रामदेव ने सभी जड़ें उसे दे दीं और अनाज अपने पास रख लिया। भालू ने जड़ें चबाईं, पर वे लकड़ी जैसी सख्त थीं। भालू को गुस्सा आ गया और उसने रामदेव पर धोखा देने का आरोप लगाया। रामदेव हँसते हुए बोला, "भालू भाई, तुमने मेहनत नहीं की, इसलिए तुम्हें फीका फल मिला। मैं मेहनत करता हूँ, इसलिए मुझे मीठा फल मिलता है।" अंतिम सबक: मेहनत का स्वाद भालू ने रामदेव की बात मानी और अगली बार शलजम की खेती में मेहनत की। इस बार फसल की मिठास का स्वाद चखकर भालू मारे खुशी के झूम उठा। उसने समझ लिया कि मेहनत करने का फल मीठा ही होता है। सीख: यह कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत से ही असली सफलता और मिठास मिलती है। आलस्य से सिर्फ असंतोष ही प्राप्त होता है। जब हम मेहनत करते हैं, तो फल मीठा होता है और जीवन में खुशियाँ लाता है। बाल कहानी यहाँ और भी हैं :- Motivational Story : आँख की बाती: सच्चे उजाले की कहानीMotivational Story : गौतम बुद्ध और नीरव का अनमोल उपहारMotivational Story : रोनक और उसका ड्रोनMotivational Story : ईमानदारी का हकदार #choti jungle kahani #Hindi Motivational Stories #bachon ki motivational story #choti hindi prerak kahani #Motivational #hindi motivational story for kids #bachon ki hindi motivational story #Kids Hindi Motivational Story #bachon ki choti kahani #Kids Hindi Motivational Stories #Hindi Motivational Story #choti hindi kahani You May Also like Read the Next Article