Motivational Story : सतर्कता और साहस की जीत

एक समय की बात है, एक हरे-भरे जंगल के किनारे एक छोटी-सी बस्ती थी। बस्ती के पास एक खेत था, जिसमें एक प्यारी मुर्गी अपने चार छोटे-छोटे बच्चों के साथ रहती थी। वह दिन-रात अपने बच्चों की देखभाल करती थी

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एक समय की बात है, एक हरे-भरे जंगल के किनारे एक छोटी-सी बस्ती थी। बस्ती के पास एक खेत था, जिसमें एक प्यारी मुर्गी अपने चार छोटे-छोटे बच्चों के साथ रहती थी। वह दिन-रात अपने बच्चों की देखभाल करती थी और उन्हें हर तरह की मुसीबत से बचाने की कोशिश करती थी। मुर्गी को पता था कि जंगल के आसपास एक बाज भी रहता है, जो शिकार की तलाश में हमेशा नजरें गड़ाए रखता है।

मुर्गी अपने बच्चों को हर सुबह समझाती, "बच्चों, हमेशा सतर्क रहना चाहिए। हमें कभी भी डरकर नहीं जीना चाहिए, पर सतर्कता और समझदारी से काम लेना चाहिए। जंगल में कोई भी खतरा कभी भी आ सकता है।" बच्चे मां की बातें सुनते और उनके दिल में साहस भर जाता था। उन्हें यकीन था कि उनकी मां हमेशा उन्हें बचाने के लिए तैयार है।

एक दिन की बात है, मुर्गी के बच्चे खेत के किनारे खेल रहे थे। वे मस्ती में इतने खो गए कि आस-पास का ध्यान रखना भूल गए। बाज जो पास के पेड़ पर बैठा था, उसने खेलते हुए बच्चों को देख लिया। उसकी नजरें चमक उठीं और उसने सोचा, "अरे वाह! आज तो स्वादिष्ट भोजन हाथ लगेगा।" उसने अपने नुकीले पंजे तैयार किए और अपने बड़े पंखों को फैलाकर शिकार के लिए झपटने की योजना बनाई।

जैसे ही बाज बच्चों पर झपटने के लिए तेजी से नीचे आया, मुर्गी ने उसकी परछाई देख ली। उसकी समझदारी और मातृत्व की भावना जाग उठी। उसने बिना वक्त गवाए अपने पंखों को फैलाया और अपने बच्चों को नीचे छिपा लिया। बच्चे डर से कांपने लगे, पर उनकी मां ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया और बोली, "घबराओ मत, मैं तुम्हारे साथ हूं।"

बाज ने जब देखा कि मुर्गी सतर्क है और उसने अपने बच्चों को अपने पंखों में छुपा लिया है, तो वह असमंजस में पड़ गया। उसने सोचा, "अगर मैंने इस मुर्गी पर हमला किया, तो यह भी मुझसे लड़ सकती है। ये तो बड़ी चालाक निकली!" बाज ने कुछ पल सोचा और फिर अपने इरादे को बदल दिया। उसने आसमान में चक्कर लगाया और जंगल की ओर लौट गया।

बच्चों ने अपनी मां की बहादुरी देखी और उनसे प्रेरणा ली। मुर्गी ने अपने बच्चों को समझाया, "देखो बच्चों, अगर हम सतर्क और साहसी रहें, तो हम किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं। डर से भागने के बजाय, हमें धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए।"

अगले दिन बच्चों में एक नया आत्मविश्वास था। उन्होंने अपनी मां की बातों को गांठ बांध ली। अब जब भी वे खेलते, वे सतर्क रहते और बाज की परछाई से सावधान रहते। मुर्गी ने अपने बच्चों को यह सीख दी कि संकट के समय घबराने से बेहतर है कि हम अपनी बुद्धि और साहस का प्रयोग करें।

कुछ दिनों बाद फिर से बाज ने बच्चों को अकेला पाकर हमला करने की योजना बनाई। लेकिन इस बार बच्चे सतर्क थे। जैसे ही उन्होंने बाज की परछाई देखी, वे दौड़कर मां के पास चले गए और सुरक्षित हो गए। बाज फिर से खाली हाथ लौट गया।

इस तरह मुर्गी की सतर्कता और बच्चों की समझदारी ने उन्हें हमेशा सुरक्षित रखा।

सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो, अगर हम सतर्क और साहसी रहेंगे, तो हम किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं। डर से बचने के बजाय, हमें धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए।

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