Vaibhav Suryavanshi: 13 साल के वैभव सूर्यवंशी, IPL में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी

Vaibhav Suryavanshi- बिहार के छोटे से गांव से आने वाले 13 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने ऐसा इतिहास रच दिया है, जिसे देखकर पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है।

By Lotpot
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13 year old Vaibhav Suryavanshi, youngest player in IPL
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Vaibhav Suryavanshi- बिहार के छोटे से गांव से आने वाले 13 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने ऐसा इतिहास रच दिया है, जिसे देखकर पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है। वैभव अब आईपीएल के इतिहास में सबसे कम उम्र में किसी टीम से जुड़ने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। राजस्थान रॉयल्स ने मेगा नीलामी में उन्हें 1 करोड़ 10 लाख रुपये की कीमत देकर अपनी टीम में शामिल किया।

राजस्थान ने दिल्ली को पछाड़ा

नीलामी के दौरान वैभव को खरीदने के लिए दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच जबरदस्त मुकाबला हुआ। शुरुआती बोली 30 लाख रुपये से शुरू हुई, लेकिन जल्द ही यह बोली 1 करोड़ के पार पहुंच गई। आखिरकार, राजस्थान रॉयल्स ने दिल्ली को पीछे छोड़ते हुए वैभव को अपने खेमे में शामिल किया।

कैसे चमकी वैभव की प्रतिभा

वैभव का क्रिकेट का सफर संघर्षों से भरा हुआ है। उन्होंने मात्र 7 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया। उनके कोच राकेश कुमार ने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें लगातार प्रेरित किया। स्कूल और जिला स्तर के मैचों में शानदार प्रदर्शन कर वैभव ने बार-बार अपनी काबिलियत का सबूत दिया।

वैभव का सपना हुआ पूरा

वैभव ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, "मैंने कभी सोचा नहीं था कि इतनी छोटी उम्र में मुझे आईपीएल में खेलने का मौका मिलेगा। यह मेरे लिए सपने के सच होने जैसा है। मैं राजस्थान रॉयल्स का आभारी हूं जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया।"

बिहार का गौरव

वैभव के आईपीएल में शामिल होने के बाद उनका गांव उत्सव के माहौल में डूब गया। गांववालों ने उनके परिवार को बधाई दी और मिठाई बांटी। उनके कोच और परिवार ने बताया कि वैभव की कड़ी मेहनत और समर्पण ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है।

राजस्थान रॉयल्स का बयान

राजस्थान रॉयल्स ने वैभव की प्रतिभा पर बयान देते हुए कहा, "वैभव सूर्यवंशी की बल्लेबाजी और फील्डिंग का स्तर उनकी उम्र से कहीं आगे है। हमें विश्वास है कि वह टीम में शानदार योगदान देंगे।"

प्रेरणा है वैभव की कहानी

वैभव सूर्यवंशी की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो बड़े सपने देखते हैं। उनकी सफलता बताती है कि उम्र केवल एक संख्या है। यदि मेहनत और लगन से कुछ किया जाए, तो कोई भी सपना असंभव नहीं है।

वैभव सूर्यवंशी: संघर्ष और मेहनत से बनी एक प्रेरणादायक कहानी

वैभव सूर्यवंशी का क्रिकेट सफर केवल उनकी मेहनत की मिसाल नहीं है, बल्कि उनके पिता संजीव सूर्यवंशी के अटूट समर्पण और बलिदान की भी कहानी है। पांच साल की उम्र से ही वैभव ने अपने पिता के साथ क्रिकेट खेलना शुरू किया। पिता ने उसे बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए समस्तीपुर शहर के पटेल मैदान स्थित ब्रजेश झा के कोचिंग कैंप में दाखिला दिलाया।

15 किलोमीटर का रोजाना सफर

वैभव का पैतृक गांव मोतीपुर, समस्तीपुर से 15 किलोमीटर दूर है। लेकिन बेटे की प्रतिभा को सही दिशा देने के लिए उनके पिता रोज सुबह वैभव को समस्तीपुर ले जाते, उसकी प्रैक्टिस कराते और फिर वापस घर लौटते। आठ साल की उम्र में ही वैभव ने अंडर-16 डिस्ट्रिक्ट ट्रायल में शानदार प्रदर्शन किया, जिससे उसे जिला और राज्य स्तर की टीमों में शामिल होने का मौका मिला।

संघर्ष भरा सफर

वैभव के पिता का संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ। क्रिकेट की ट्रेनिंग और अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी जमीन तक बेच दी। बाद में, उन्होंने वैभव को पटना में भी प्रशिक्षण दिलाया। वैभव ने मेहनत और लगन से खुद को साबित किया। साढ़े 12 साल की उम्र में ही वह बिहार की रणजी ट्रॉफी टीम का हिस्सा बन गए, जिससे उन्होंने नया इतिहास रच दिया।

रणजी ट्रॉफी और भारतीय टीम में जगह

जनवरी 2024 में बिहार की रणजी टीम में डेब्यू करते हुए वैभव ने शानदार प्रदर्शन किया। इसके बाद सितंबर में भारत U19 बनाम ऑस्ट्रेलिया U19 सीरीज में उन्होंने मात्र 58 गेंदों में शतक लगाकर सभी का ध्यान आकर्षित किया। यह भारतीय अंडर-19 टेस्ट इतिहास में सबसे तेज शतक था।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान

इस उपलब्धि के बाद वैभव को अंडर-19 एशिया कप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। उनके प्रदर्शन की तुलना इंग्लैंड के क्रिकेटर मोईन अली से की जा रही है, जिन्होंने 2005 में अंडर-19 क्रिकेट में 56 गेंदों में शतक बनाया था। वैभव इस उपलब्धि के बेहद करीब पहुंच गए हैं।

पिता का सपना

वैभव के पिता का कहना है कि अब उनका बेटा केवल उनका नहीं, बल्कि पूरे बिहार का बेटा बन गया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके छोटे बेटे को भी वह क्रिकेटर बनाएंगे। संजीव सूर्यवंशी का संघर्ष हर उस माता-पिता के लिए प्रेरणा है, जो अपने बच्चों के सपनों को साकार करने के लिए कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं।

सीखने की बात

वैभव सूर्यवंशी की कहानी बताती है कि मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनके पिता का त्याग और वैभव की लगन हर युवा के लिए प्रेरणा है।

 

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