जीसैट-एन2 लॉन्च: ब्रॉडबैंड सेवाओं में क्रांति की शुरुआत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम की है। इसरो के सैटेलाइट जीसैट-एन2 का सफल प्रक्षेपण अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से किया गया।

By Lotpot
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GSAT-N2 launch: Beginning of revolution in broadband services
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जीसैट-एन2 लॉन्च:  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम की है। इसरो के सैटेलाइट जीसैट-एन2 का सफल प्रक्षेपण अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से किया गया। यह ऐतिहासिक लॉन्च फ्लोरिडा के कानावेरल स्पेस स्टेशन से हुआ, जिसने अंतरिक्ष की दुनिया में भारत के लिए एक नई राह खोली। इसरो के इस ऐतिहासिक प्रयास के लिए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने टीम को बधाई देते हुए इसे "भारत का एक और अंतरिक्ष में मील का पत्थर" कहा।

जीसैट-एन2: दूरसंचार और इंटरनेट सेवाओं के लिए वरदान

जीसैट-एन2 सैटेलाइट का मुख्य उद्देश्य देशभर में ब्रॉडबैंड और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है। 4,700 किलोग्राम वजन वाले इस सैटेलाइट का मिशन जीवन 14 वर्ष है। यह दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं को मजबूत करेगा, जिससे भारत डिजिटल क्रांति के नए युग में प्रवेश करेगा। खास बात यह है कि पहली बार इसरो ने अपने सैटेलाइट को अंतरिक्ष में लॉन्च करने के लिए स्पेसएक्स की तकनीकी और लॉन्चिंग सुविधाओं का इस्तेमाल किया।

स्पेसएक्स और इसरो की साझेदारी का महत्व

यह लॉन्च सिर्फ एक प्रक्षेपण नहीं है, बल्कि भारत और अमेरिका के अंतरिक्ष संगठनों के बीच एक ऐतिहासिक सहयोग का प्रतीक है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस तरह के अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भविष्य के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि यह साझेदारी भारत को इंटरनेट सेवाओं में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी।

क्या बदलेगा जीसैट-एन2 के लॉन्च के बाद?

इस सैटेलाइट के जरिए देश में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, खासतौर से दूरदराज के क्षेत्रों में, और भी तेज़ और बेहतर हो जाएगी। इसके अलावा, यह इन-फ्लाइट इंटरनेट सेवाओं के अनुभव को भी शानदार बनाएगा। यह लॉन्च पूरी तरह से व्यावसायिक था और इसका संचालन न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) द्वारा किया जा रहा है।

जीसैट-एन2 का सफल प्रक्षेपण इसरो के साथ-साथ स्पेसएक्स के लिए भी एक नई उपलब्धि है। यह अंतरराष्ट्रीय साझेदारी न केवल तकनीकी विकास को बढ़ावा देगी बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधान और सेवाओं के क्षेत्र में नए अवसर खोलेगी।

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