भारत के युवा शतरंज खिलाड़ी गुकेश डी (Gukesh D) ने इतिहास रचते हुए 18 साल की उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब अपने नाम कर लिया। सिंगापुर में आयोजित 14-मैचों की इस महाक्लैश में गुकेश ने चीन के मौजूदा चैंपियन डिंग लिरेन को 7.5-6.5 के अंतर से हराया। निर्णायक गेम 14 में काले मोहरों के साथ खेलते हुए गुकेश ने डिंग की एक महत्वपूर्ण गलती का लाभ उठाकर खिताब अपने नाम किया।
गुकेश ने न केवल यह जीत हासिल की, बल्कि वह रूस के गैरी कास्पारोव का 39 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़कर सबसे कम उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन बनने वाले खिलाड़ी बन गए। कास्पारोव ने यह खिताब 1985 में 22 साल की उम्र में जीता था, जबकि गुकेश ने महज 18 साल की उम्र में यह कमाल कर दिखाया।
मैच का रोमांच: हर गेम की कहानी
- पहला गेम: डिंग ने शुरुआत में बढ़त बनाई और गुकेश को 42 चालों में मात दी।
- दूसरा गेम: गुकेश ने मजबूत वापसी करते हुए डिंग को ड्रॉ पर रोक दिया।
- तीसरा गेम: शानदार तैयारी के साथ गुकेश ने डिंग को हराकर स्कोर 1.5-1.5 से बराबर किया।
- चौथा से नौवां गेम: इन छह गेमों में दोनों खिलाड़ियों के बीच जबरदस्त मुकाबला हुआ, लेकिन सभी ड्रॉ पर खत्म हुए।
- 11वां गेम: गुकेश ने डिंग की एक चूक का फायदा उठाकर मैच में 6-5 की बढ़त ले ली।
- 12वां गेम: डिंग ने वापसी करते हुए स्कोर 6-6 से बराबर कर लिया।
- 14वां गेम: निर्णायक गेम में डिंग दबाव में गलती कर बैठे, और गुकेश ने जीत का ताज अपने सिर पर सजा लिया।
भारत के लिए गर्व का क्षण
गुकेश की इस जीत ने भारत को गर्व का अनोखा पल दिया। इस ऐतिहासिक जीत के साथ, उन्होंने न केवल भारतीय शतरंज को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गए।
क्या यह भारतीय खेलों का सबसे बड़ा क्षण है? इस सवाल पर बहस जारी है, लेकिन इतना जरूर है कि गुकेश डी की इस जीत ने शतरंज के खेल में भारत का कद और ऊंचा कर दिया है।
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