Positive News: बचपन में मोटू पतलू कार्टून के फैन थे विनीत रैना

सीरियल 'मुल्क' से एक सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाले विनीत रैना ने अपने लंबे करियर में निगेटिव किरदार से लेकर लीड किरदार तक निभाए हैं। हर भूमिका में उन्होंने अपने अभिनय का जादू चलाया है।

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बचपन में मोटू पतलू कार्टून के फैन थे विनीत रैना

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Positive News बचपन में मोटू पतलू कार्टून के फैन थे विनीत रैना:- सीरियल 'मुल्क' से एक सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाले विनीत रैना ने अपने लंबे करियर में निगेटिव किरदार से लेकर लीड किरदार तक निभाए हैं। हर भूमिका में उन्होंने अपने अभिनय का जादू चलाया है। बता दें टीवी सीरियल के साथ साथ विनीत ने फिल्म और वेब सीरीज में भी काम किया है। अपने अलग अलग अंदाज़ से लोगों का दिल जीतने वाले विनीत रैना आजकल सीरियल 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' में देव शेखावत का किरदार निभा कर लोगों का दिल जीत रहे हैं। (Positive News)

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प्रश्न:- मोटू-पतलू कार्टून के बारे में तो आप जानते हीं होंगे। आपका बचपन कैसा था, क्या आपने भी बचपन में शरारते की हैं, जिसके बारे में आप बताना चाहेंगे?

किसको मोटू पतलू के बारे में नहीं पता होगा। मोटू पतलू बिल्कुल चाचा चौधरी-साबू, पिल्लू-पिंकी, और नागराज की तरह हैं। बचपन में मैं...

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किसको मोटू पतलू के बारे में नहीं पता होगा। मोटू पतलू बिल्कुल चाचा चौधरी-साबू, पिल्लू-पिंकी, और नागराज की तरह हैं। बचपन में मैं बहुत सारी कॉमिक्स पढ़ता था। मैं कश्मीरी पंडित हूँ तो हम माइग्रेट करके जम्मू आये थे, इसलिए हमारे पास इतने पैसे नहीं थे। मुझे कॉमिक्स पढ़ने का बहुत मन करता था लेकिन पैसे नहीं होते थे खरीदने के लिए। तो मैं क्या करता था कि किसी तरह से पैसे जोड़ कर एक कॉमिक खरीदता था और फिर अपने क्लासमेट के साथ उसको ट्रेड करता था। मैं उनको अपनी कॉमिक दे देता था और उनसे मोटू पतलू की कॉमिक ले लेता था क्योंकि मुझे वो पढ़ने में बहुत मज़ा आता था। ऐसा करके मैं एक कॉमिक खरीद कर दस से पंद्रह कॉमिक पढ़ लेता था। मेरी ये जो बचपन की यादें हैं वो मेरे दिल के बहुत करीब हैं। (Positive News)

प्रश्न:- क्या विनीत बचपन में शरारती थे या शांत थे?

मेरे ख्याल से मै शांत अब हो गया हूँ। मुझे लगता है स्कूल से जितनी कम्प्लेंट्स मेरे पेरेंट्स ने सुनी होगी, उतनी शायद ही किसी के पेरेंट्स ने सुनी होगी। मैं कम से कम हफ्ते में चार दिन प्रिंसिपल सर के रूम के बाहर खड़ा रहता था। क्योंकि मैंने कुछ तो किया होता था जिसकी मुझे पनिशमेंट मिली हुई थी। कभी स्कूल में पटाखे फोड़ देना, कभी किसी को इंक लगा देना ये सब करता था, लेकिन कभी किसी को बुली नहीं किया। ये सब हमारी आपस में मस्ती थी, जो हम साथ मिलकर करते थे। (Positive News)

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