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“अच्छे-अच्छे काम करो” एक अत्यंत सरल, शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक बाल-कविता है, जो बच्चों को अच्छे संस्कार (good values) और अनुशासन (discipline) का महत्व सिखाती है। यह कविता रोज़मर्रा की आदतों के माध्यम से बच्चों को सही जीवन-शैली अपनाने की प्रेरणा देती है। सुबह जल्दी उठना, ध्यान लगाकर पढ़ाई करना, साफ-सफाई रखना, बड़ों का सम्मान करना और दूसरों की मदद करना जैसी बातें बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में बहुत अहम भूमिका निभाती हैं।
कविता की भाषा सहज और लयबद्ध है, जिससे बच्चे इसे आसानी से याद कर लेते हैं। इसमें बताए गए छोटे-छोटे कार्य बच्चों को यह समझाते हैं कि अच्छे काम करने से ही समाज में अच्छा नाम बनता है। गुरुजनों का सम्मान, अभिमान से दूर रहना और सभी के साथ मिल-जुलकर रहना जैसे संदेश बच्चों को अच्छा इंसान बनने की दिशा दिखाते हैं।
यह कविता प्राथमिक कक्षाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी है और स्कूल की पाठ्यपुस्तकों, प्रार्थना सभाओं और नैतिक शिक्षा (moral education) के लिए उपयुक्त मानी जाती है। “अच्छे-अच्छे काम करो” बच्चों को यह सिखाती है कि अच्छे संस्कार बचपन में ही विकसित किए जाएँ, ताकि भविष्य में वे एक जिम्मेदार और संवेदनशील नागरिक बन सकें।
अच्छे-अच्छे काम करो
(Do Good Deeds)
सदा सवेरे उठा करो,
ध्यान लगाकर पढ़ा करो।
दाँत साफ़ नित किया करो,
नख मत बढ़ने दिया करो।
प्रतिदिन तुम स्नान करो,
फिर ईश्वर का ध्यान करो।
गुरुजन का सम्मान करो,
कभी न तुम अभिमान करो।
सबसे मिल-जुलकर रहना,
कड़वी बातें मत कहना।
दुखियों की सेवा करना,
झगड़ा कभी नहीं करना।
अच्छे-अच्छे काम करो,
जग में ऊँचा नाम करो।
अध्यापन संकेत (Teaching Hints)
कविता का पाठ अलग-अलग बच्चों से कराते हुए अच्छी बातों की ओर उनका ध्यान आकर्षित कराएँ।
शब्दार्थ (Word Meanings)
सदा – हमेशा (Always)
सवेरे – प्रातःकाल (Early in the morning)
प्रतिदिन – रोज़, हर दिन (Daily)
सम्मान – आदर (Respect)
नख – नाखून (Nails)
अभिमान – घमंड (Pride)
उठना – जागना (To wake up)
गुरुजन – पूज्य पुरुष, शिक्षक (Elders and teachers)
जग – संसार (World)
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