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“बढ़े चलो” एक प्रेरणादायक कविता है जो जीवन में सकारात्मक सोच (Positive Thinking), धैर्य (Patience) और साहस (Courage) के महत्व को बहुत सुंदर तरीके से दर्शाती है। यह कविता बच्चों और युवाओं दोनों के लिए एक मार्गदर्शक की तरह काम करती है। इसमें कवि ने सिखाया है कि चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और अपने लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ते रहना चाहिए।
कविता का हर श्लोक हमें यह याद दिलाता है कि सफलता (Success) उन्हीं को मिलती है जो मेहनत (Hard Work) और विश्वास (Faith) से अपने रास्ते पर आगे बढ़ते रहते हैं। कवि ने यह भी कहा है कि हमें दूसरों की कृपा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपने कर्म और आत्मबल पर भरोसा रखना चाहिए।
यह कविता बच्चों को यह सिखाती है कि जीवन में गिरना, असफल होना, या चुनौतियों का सामना करना बुरा नहीं है — बुरा तब होता है जब हम हार मान लेते हैं। “बढ़े चलो” का संदेश हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है।
इस कविता को स्कूल असेंबली, प्रतियोगिता या प्रेरणादायक कविता पाठ (Motivational Poem Recitation) में सुनाना बहुत उपयोगी है क्योंकि यह बच्चों के भीतर आत्मविश्वास, दृढ़ निश्चय और आगे बढ़ने की भावना को जागृत करती है।
कविता - बढ़े चलो
फूल बिछे हों या कांटे हों,
राह न अपनी छोड़ो तुम।
चाहे जो विपदायें आयें,
मुख को ज़रा न मोड़ो तुम।
साथ रहें या रहें न साथी,
हिम्मत मगर न छोड़ो तुम।
नहीं कृपा की भिक्षा मांगो,
कर न दीन बन जोड़ो तुम।
बस ईश्वर पर रखो भरोसा,
पाठ प्रेम का पढ़े चलो।
जब तक जान बनी हो तन में,
तब तक आगे बढ़े चलो।
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