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पानी और धूप
बच्चों, आपने देखा होगा कि मौसम (weather) कभी अचानक बदल जाता है। अभी धूप खिली होती है और थोड़ी ही देर में काले बादल छा जाते हैं, बिजली कड़कने लगती है और बरसात शुरू हो जाती है। यही मजेदार दृश्य हमें कविता “पानी और धूप” में मिलता है।
इस कविता में कवयित्री ने बच्चों की नज़र से मौसम के बदलाव को बहुत ही प्यारे और मासूम अंदाज़ में प्रस्तुत किया है। कभी अचानक तेज धूप छिप जाती है और बादल घड़े फूटने की तरह पानी बरसाने लगते हैं। बच्चों की सोच में यह एक शैतानी जैसा खेल लगता है। कविता में सवाल किया गया है कि सूरज ने अपने घर का दरवाज़ा क्यों बंद कर लिया? क्या उसकी माँ ने उसे बुलाया होगा?
इसी तरह जब बादल गरजते हैं तो कवयित्री ने उसे ऐसे बताया है मानो कोई काका गुस्सा कर रहे हों, और किसी बच्चे को डाँट रहे हों जिसने माँ की बात नहीं मानी। यह कल्पना बच्चों को बहुत रोचक लगती है, क्योंकि इसमें प्रकृति और परिवार का मेल दिखाई देता है।
इस कविता से बच्चों को यह सीख मिलती है कि प्रकृति (nature) का हर रूप एक खेल जैसा है और अगर हम ध्यान से देखें तो धूप, बारिश और बादलों में भी एक कहानी छिपी होती है। यही कारण है कि यह कविता आज भी बच्चों की पसंदीदा है।
पानी और धूप
अभी-अभी थी धूप,
बरसने लगा कहाँ से यह पानी।
किसने फोड़ घड़े बादल के,
की है इतनी शैतानी।।
सूरज ने क्यों बंद कर लिया
अपने घर का दरवाज़ा?
उसकी माँ ने भी क्या उसको
बुला कहकर आजा।।
ज़ोर-ज़ोर से गरज रहे हैं,
बादल हैं किसके काका?
किसको डाँट रहे हैं, किसने
कहना नहीं सुना माँ का।
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