Bal Kavita: मेले में

By Lotpot
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मेले में

आओ, हम भी मौज उडाएँ मेले में,

गांव से दूर नदी किनारे,

इकट्ठे हुए हैं लोग सारे,

 

आओ, हम भी भीड़ बढ़ाएं मेले में,

ऊपर नीचे चक्करदार,

कई - कई झूले क्रमवार,

 

आओ, हम भी सुध बिसराएं मेले में,

नचा रहा मदारी बंदर,

बैठा हाथी सर्कस अंदर,

 

आओ, हम भी ताली बजाएं मेले में,

रंग-रंग को सजी मिठाई,

रेवड़ी,जलेबी, बालूसाई,

 

आओ, हम भी लार टपकाएं मेले में,

गन्ने रसीले खड़े हुए हैं,

गुब्बारों में बच्चे गड़े हुए हैं,

 

आओ, हम भी धक्के खाएं मेले में,

तरह-तरह क॑ खेल खिलौने,

गधे, घोड़े हिरण बौने,

 

आओ, हम भी मुग्ध हो जाएं मेले में,

बांछे सबकी खिली हुई,

खुशियां सबको मिली हुई,

 

आओ, हम भी खुशियां पाए मेले में। 

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