Bal Kavita: बेटी

By Lotpot
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बेटी

बेटी

पृथ्वी में जन्म लेकर,
माँ का आँचल छू ना पाई।

पालनहार पिता के कभी,
गोद नहीं बैठ पाई।

माँ ने कहा पराया धन,
सास ने कहा पराई बेटी।

कभी किसी का प्यार न पाया,
क्या ऐसी ही होती बेटी ?

कितने अरमान मन में थे,
एक भी पूरे हो ना पाए।

सपनों को टूटते देखा,
सह न पाई वह बेटी।

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