Bal Kavita: बन्दर के तेवर By Lotpot 10 Jan 2024 in Poem New Update बन्दर के तेवर बन्दर के तेवर बंदर और बंदरिया में,जब होती कभी लड़ाई। बंदर जी बंदरिया की,करते खूब पिटाई। बंदरिया भी रोज-रोज के,झगडे से तंग आकर। बांध पुटलिया भाग गई,बंदर को मूर्ख बनाकर। जा पहुंची अपने पिहर,सोचा अब न आऊंगी। रोज-रोज के झगड़े का,बंदर को सबक सिखाऊंगी। बंदर ठहरा मर्द का बच्चा,कब था हार मानने वाला। ससुराल पहुंचकर बंदर ने,अपना गुस्सा खूब निकाला। देख के तेवर बंदर के,बंदरिया डरकर के यूँ बोली। राजा ही क्यू गुस्सा होते,मैं तो करती थी ठिठोली। lotpot-e-comics | hindi-bal-kavita | manoranjak-bal-kavita | hindi-rhymes | kids-hindi-poems | kids-hindi-rhymes | hindi-poem | लोटपोट | lottpott-i-konmiks | hindii-baal-kvitaa | baal-kvitaa | bccon-kii-kvitaa यह भी पढ़ें:- Bal kavita: पुस्तक Bal Kavita: मेंढक मामा Bal Kavita: जनवरी आ गई Bal Kavita: चन्दा मामा #लोटपोट #Lotpot #बच्चों की कविता #बाल कविता #bal kavita #manoranjak bal kavita #लोटपोट इ-कॉमिक्स #Hindi Poem #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कविता #Hindi Bal Kavita #hindi rhymes #kids hindi rhymes #kids hindi poems You May Also like Read the Next Article