Bal Kavita: बन्दर के तेवर

By Lotpot
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बन्दर के तेवर

बन्दर के तेवर

बंदर और बंदरिया में,
जब होती कभी लड़ाई।

बंदर जी बंदरिया की,
करते खूब पिटाई।

बंदरिया भी रोज-रोज के,
झगडे से तंग आकर।

बांध पुटलिया भाग गई,
बंदर को मूर्ख बनाकर।

जा पहुंची अपने पिहर,
सोचा अब न आऊंगी।

रोज-रोज के झगड़े का,
बंदर को सबक सिखाऊंगी।

बंदर ठहरा मर्द का बच्चा,
कब था हार मानने वाला।

ससुराल पहुंचकर बंदर ने,
अपना गुस्सा खूब निकाला।

देख के तेवर बंदर के,
बंदरिया डरकर के यूँ बोली।

राजा ही क्यू गुस्सा होते,
मैं तो करती थी ठिठोली।

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