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बेटियाँ
बेटियाँ
ओस की बूंद सी होती हैं बेटियाँ,
पापा की प्यारी व दादा की दुलारी होती हैं बेटियाँ।
माँ-बाप के दर्द में हमदर्द होती हैं बेटियाँ,
रोशन करेगा बेटा तो बस एक ही कुल को।
दो-दो कुलों की लाज होती हैं बेटियाँ,
हीरा अगर बेटा तो सच्चा मोती हैं बेटियाँ।
कांटों की राह पर चलती हैं बेटियाँ,
औरों की राह में फूल बनती हैं बेटियाँ।
कहने को पराई अमानत हैं बेटियाँ,
पर बेटों से भी बढ़कर अपनी होती हैं बेटियाँ।
बेटा है आंख तो पलक है बेटियाँ,
बेटी धन पराया है यह हम सुनते आए।
दर्द विदाई का क्या, आज समझ में आया,
गम और खुशी कैसा अद्भुत अवसर है भाई।
मेरी परछाई मुझसे ले रही विदाई।।
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