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चूहे जी गए मेला
चूहे जी गए मेला
एक दिन सज-धजकर के,
चूहे जी गए देखने मेला।
आगे-पीछे चल रहे थे,
चूहे जी के चेला।
मेले में मिठाई देख,
मन चूहे का ललचाया।
बिल्ली मौसी की दुकान से,
झट एक लड्डू सरकाया।
इतने में ही पड़ी दिखाई,
दौड़ लगाती बिल्ली।
चेले-वेले भाग गए सब,
उड़ा-उड़ाकर खिल्ली।
चूहे जी ने दौड़ लगाई,
वहां खुद को देख अकेला।
फिर न गए भूल से भी,
वह कभी देखने मेला।
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