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बगिया
बगिया
मेरे घर की बगिया प्यारी,
हो जैसे फूलों की क्यारी।
बड़े जतन से इसे लगाया,
पसीना भी खूब- बहाया।
तरह-तरह के पेड़ लगाये,
उन पर रस भरे फल आये।
प्रकृति ने मानों कालीन बिछाया,
हरी दूब का लॉन लगाया।
फूलों की क्या कहनी बात,
देते खुशबू की सौगात।
कहते सब जग से न्यारी,
मेरे घर की बगिया प्यारी।
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