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मौनी बाबा
शेरों की पंचायत थी,
पर बंदर जी ललचाए।
शेर की खाल ओढ़कर,
चुपचाप पंचायत में आए।
एक शेर ने बंदर जी को,
तुरत-फुरत में ताड़ा।
वह बोला तु शेर कौन सा,
जो अब तक नहीं दहाड़ा।
बंदर जी ने चालाकी से,
अपनी जान बचाई।
मै हूँ मौनी बाबा भाई,
लिखी तख्ती आगे बढ़ाई।
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