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मेरा घोड़ा
लकड़ी का है मेरा घोड़ा,
नही दूसरा इसका जोड़ा।
बिठा पीठ पर जब यह दौड़ा,
कभी राह में रुका न थोड़ा।
कितनी बार गया अल्मोड़ा,
दाना पानी इसे न भाता।
रोज़ मुफ्त में सैर करता,
चाहूँ जिधर मुझे ले जाता।
मेरा घोड़ा मुझको प्यारा,
सभी वाहनो से है न्यारा।
है मेरी आंखो का तारा।।
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