Bal Kavita: मेरा घोड़ा

By Lotpot
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मेरा घोड़ा

लकड़ी का है मेरा घोड़ा,

नही दूसरा इसका जोड़ा। 

बिठा पीठ पर जब यह दौड़ा,

कभी राह में रुका न थोड़ा। 

कितनी बार गया अल्मोड़ा,

दाना पानी इसे न भाता। 

रोज़ मुफ्त में सैर करता,

चाहूँ जिधर मुझे ले जाता। 

मेरा घोड़ा मुझको प्यारा,

सभी वाहनो से है न्यारा। 

है मेरी आंखो का तारा।। 

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