/lotpot/media/media_files/DQ0mcL0yiDsQ8aeX3gH1.jpg)
मच्छर जी ओ मच्छर जी
मच्छर जी ओ मच्छर जी
मच्छर जी ओ मच्छर जी,
छोटे-हल्के मच्छर जी।
बड़े-बड़ों की नींद उड़ाते,
क्या है इनका चक्कर जी।
मच्छर जी ओ मच्छर जी,
जब भी मैं पढ़ने को बैठूं।
या थक कर बिस्तर पर लेटूं,
भुन-भुन करते आ जाते हो।
नगमे गाते सत्तर जी,
मच्छर जी ओ मच्छर जी।
चुपके से तुम कान में आते,
भुन-भुन का शोर मचाते।
कभी नाक में घुस जाते हो,
बहुत लगाते चक्कर जी।
मच्छर जी ओ मच्छर जी,
कभी हाथ से तुम्हें भगाता।
फूंक मारकर कभी उड़ाता,
फिर-फिर वापस आ जाते हो।
क्यों हो इतने खच्चर जी,
मच्छर जी ओ मच्छर जी।
जिसको-जिसको तुमने काटा,
मलेरिया है जिसको बांटा।
खटिया पकड़े पड़ा है देखो,
बिगड़े उसके नछत्तर जी।
मच्छर जी ओ मच्छर जी।।
lotpot | lotpot E-Comics | Bal Kavitayen | hindi bal kavitayen | Hindi Bal Kavita | manoranjak bal kavita | bal kavita | kids hindi poems | kids poems | hindi poems for kids | Hindi Poems | kids hindi rhymes | hindi rhymes | Hindi Rhymes for kids | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कवितायें | हिंदी बाल कविता | बाल कविता | हिंदी कवितायें | बच्चों की कविता | बच्चों की मनोरंजक कविता