बाल कविता : ओ सूरज भैया ! इस कविता "ओ सूरज भैया!" में कवि शिवनारायण सिंह ने गर्मी के मौसम का चित्रण किया है, जिसमें सूरज की तेज़ धूप से लोग व्याकुल हो रहे हैं। सूरज की गर्मी इतनी बढ़ गई है कि प्यास बढ़ती जा रही है और पानी दूर कहीं नजर नहीं आता। By Lotpot 28 Oct 2024 in Poem New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 बाल कविता- इस कविता "ओ सूरज भैया!" में कवि शिवनारायण सिंह ने गर्मी के मौसम का चित्रण किया है, जिसमें सूरज की तेज़ धूप से लोग व्याकुल हो रहे हैं। सूरज की गर्मी इतनी बढ़ गई है कि प्यास बढ़ती जा रही है और पानी दूर कहीं नजर नहीं आता। चिड़िया भी उड़ रही हैं लेकिन छाया नहीं मिल रही। पेड़ बूढ़े हो गए हैं और उनमें छाया देने की शक्ति भी नहीं रही। गर्मी के कारण लोग पसीने से तर-बतर हैं और बारिश की कामना कर रहे हैं ताकि तालाब भर जाएं और प्रकृति में ठंडक लौट आए। यह कविता गर्मी की परेशानी और वर्षा की चाह को सुंदरता से अभिव्यक्त करती है। (Best Hindi Poem) ओ सूरज भैया !" ताता था थैयाओ सूरज भैया ! गर्मी है ज्यादाक्या है इरादा ? प्यास है गैयादूर खड़ी नैया कहीं नहीं पानीक्या तुमने ठानी ? उड़ रही चिरैयाकहीं नहीं छैयाँ। पेड़ थके हारेटूँठ हुए सारे, हैया ओ हैया !ना चले पुरवैया, तन बदन पसीनाजेठ का महीना, बजेगी बधैयाभरे उठे तलैया बरखा को बुलावाभेज रहा कौवा। यहाँ पढ़ें और Hindi Kavita : Hindi Kavita : एक-एक कदम आगे बढ़ाओ Hindi Kavita : आई पकौड़ी आई पकौड़ी Hindi Kavita : चंदा मामा की रात Hindi Kavita : चुहिया की खरीदारी #poem #bachchon ki kavitayen #bachchon ki bal kavita #bachchon ki hindi kavitayen #bachchon ki hindi poem #bachon ki bal kavita #bachon ki hindi poems #bachchon ki kavita #kavita #bachchon ki kavitayen #bachchon ki bal kavita #bachchon ki hindi kavita #bachchon ki hindi kavitayen #Hindi Bal Kavita #Bal Kavita Neend #Bal Kavitayen #hindi bal kavitayen #bachchon ki bal kavita #bal kavita in hindi #bachon ki bal kavita You May Also like Read the Next Article