Bal Kavita: जुगनुओं का दर्द

By Lotpot
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जुगनुओं का दर्द

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जुगनुओं का दर्द

कहाँ गये सब जुगनू प्यारे,
खेतों के जो सितारे थे।

कहाँ गये वो चमकते सारे,
मन को जो हर्षाते थे।

गली गली उनका आना,
अंधियारे का यूँ खो जाना।

जुगनू में अब नहीं ठिकाना,
रात को वे चुगते दाना।

एक दिन एक जुगनू आया,
बोला नवयुग हमें ना भाया।

नई दुनिया ने हमें सताया,
हांथ हमारे कुछ ना आया।

छोड़ के शहर, गांव तुम्हारे,
अब हम सब उड़ जाते हैं।

नया साल हो तुम्हें मुबारक,
हम तो जंगल में जाते हैं।

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