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पेट
पेट
बन्दर मामा कि बारात में,
हाथी दादा आए।
देख इमरती, पूरी-कचौरी,
मन में वो हरषाये।
बड़े प्रेम से खाई उन्होंने,
मिठाई बंगाल वाली।
सारा माल हज़म कर गये,
हो गये बर्तन खाली।
देख कर खाली बर्तन-भाण्डे,
सभी लोग चकराए।
सुन पोजीशन अब्बा दुल्हन के,
रम्मू जी भागे आये।
सारा माल खत्म हो गया,
इज्जत पर बन आई।
रम्मू जी ने तुरन्त ही,
फिर से भट्टी तपवाई।
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