Bal kavita: दीप जले

By Lotpot
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दीप जले

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दीप जले

नन्हे-नन्हे दीप जले,
लगते कैसे भले-भले।

टिकड़ी, अनार और फुलझड़ी,
रॉकेट, चकरी बम चले।

नन्हे-नन्हे दीप जले,
लगते कैसे भले-भले।

दीवारों पर चढ़ी सफेदी,
दरवाजों पर रंग बहार।

घर का कोना कोना चमका,
लटक रहे हैं बंदनवार।

नन्हे-नन्हे दीप जले,
लगते कैसे भले-भले।

खील, बताशे,लड्डू, फैनी,
पकवानों की सजी रैली।

कुरीतियों को छोड़ मित्रों,
बिगड़े बने आज भले।

नन्हे-नन्हे दीप जले, 
लगते कैसे भले।

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