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नदी-नाले हर्षाये हैं
नदी-नाले हर्षाये हैं
आसमान में काले-काले,
जल के बादल छाये हैं।
बस्ता लेकर चलो साथियों,
पढ़ने के दिन आये हैं।
रिमझिम-रिमझिम पानी गिरता,
सबकी प्यास बुझाता है।
मेहनत के बल पर किसान,
खेतों में धान उगाता है।
यहां-वहां-हर जहां फुदककर,
मेंढक अब टर्राये हैं।
लिये प्रेरणा आओ भैया,
हम भी अपना धर्म निभायें।
बेमतलब की बात छोड़कर,
बस्ता ले विद्यालय जायें।
धरती का श्रृंगार देख कर,
नदी-नाले हर्षाये हैं।
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