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“हम नन्हे-नन्हे बच्चे हैं” एक प्रेरणादायक और देशभक्ति से भरपूर बाल-कविता है, जो बच्चों के मन में आत्मविश्वास, सच्चाई और राष्ट्रप्रेम (patriotism) की भावना को मज़बूत करती है। इस कविता में बच्चों को भले ही नादान और उम्र में कच्चा बताया गया हो, लेकिन उनके इरादों को सच्चा और मजबूत दिखाया गया है। यही संदेश बच्चों को यह सिखाता है कि उम्र छोटी हो सकती है, लेकिन सोच बड़ी और सकारात्मक होनी चाहिए।
कविता में “जननी की जय-जय” गाने और “भारत की ध्वजा उड़ाने” जैसे भाव बच्चों में अपने देश के प्रति सम्मान और गर्व पैदा करते हैं। यह रचना यह बताती है कि आने वाला भविष्य बच्चों के हाथों में है और वही आगे चलकर भारत का नाम रोशन करेंगे। सरल भाषा और छोटे-छोटे वाक्य इसे प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए बेहद उपयुक्त बनाते हैं।
यह कविता न केवल पाठ्यपुस्तकों के लिए उपयोगी है, बल्कि स्कूल की प्रार्थनाओं, राष्ट्रीय पर्वों और मंच कार्यक्रमों में भी अक्सर पढ़ी जाती है। इससे बच्चों में अनुशासन, देश के प्रति जिम्मेदारी और अच्छे नागरिक बनने की भावना विकसित होती है। “हम नन्हे-नन्हे बच्चे हैं” बच्चों को यह विश्वास दिलाती है कि वे आज भले छोटे हों, लेकिन कल देश की ताकत बनेंगे।
हम नन्हे-नन्हे बच्चे हैं
हम नन्हे-नन्हे बच्चे हैं,
नादान उमर के कच्चे हैं,
पर अपनी धुन के सच्चे हैं।
जननी की जय-जय गाएँगे,
भारत की ध्वजा उड़ाएँगे,
भारत का नाम चमकाएँगे।
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