हिंदी बाल कविता: ओ सूरज भैया

यह कविता एक प्रकृति का विवरण है जिसमें गर्मी की अत्यधिकता, प्यासी गाय, उड़ती चिड़िया और पेड़-पौधे की हालत को बयान किया गया है। इसके माध्यम से लेखक ने मानवता के प्राकृतिक संबंधों पर गहरा विचार किया है।

By Lotpot
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ओ सूरज भैया

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ओ सूरज भैया

ताता था थैया, ओ सूरज भैया!
गर्मी है ज़्यादा, क्या है इरादा?

प्यासी है गैया, दूर खड़ी नैया,
कहीं नहीं पानी, क्या तुमने ठानी?

उड़ रही चिरैया, कहीं नहीं छैयाँ,
पेड़ थके हारे, ठूँठ हुए सारे।

चले न पुरवैया, तन बदन पसीना,
जेठ का महीना, हैया ओ हैया!

बजेगी बधैया, भर उठे तलैया,
बरखा का बुलावा, भेज रहा कौआ।

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