ओ सूरज भैया ताता था थैया, ओ सूरज भैया!गर्मी है ज़्यादा, क्या है इरादा? प्यासी है गैया, दूर खड़ी नैया,कहीं नहीं पानी, क्या तुमने ठानी? उड़ रही चिरैया, कहीं नहीं छैयाँ,पेड़ थके हारे, ठूँठ हुए सारे। चले न पुरवैया, तन बदन पसीना,जेठ का महीना, हैया ओ हैया! बजेगी बधैया, भर उठे तलैया,बरखा का बुलावा, भेज रहा कौआ। यह भी पढ़ें:- हिंदी बाल कविता: तितली रानी हिंदी बाल कविता: सुंदर किरणें हिंदी बाल कविता: बारिश का मौसम हिंदी बाल कविता: गर्मी तेज हुई है भैया