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ओ सूरज भैया
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ओ सूरज भैया
ताता था थैया, ओ सूरज भैया!
गर्मी है ज़्यादा, क्या है इरादा?
प्यासी है गैया, दूर खड़ी नैया,
कहीं नहीं पानी, क्या तुमने ठानी?
उड़ रही चिरैया, कहीं नहीं छैयाँ,
पेड़ थके हारे, ठूँठ हुए सारे।
चले न पुरवैया, तन बदन पसीना,
जेठ का महीना, हैया ओ हैया!
बजेगी बधैया, भर उठे तलैया,
बरखा का बुलावा, भेज रहा कौआ।