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गर्मी तेज हुई है भैया
गर्मी तेज हुई है भैया
पापा पानी पी-पी हारे,
मम्मी हारी पंखा झल-झल।
गर्मी तेज हुई है भैया,
मंद हुई नदिया की कल-कल।
सुबह-सुबह ही धूप काटती,
खूब तपाती है दुपहर।
लाख चले पंखा कूलर पर,
गर्मी कहती ठहर-ठहर।
बंद हो गया खुला खेलना,
लू बरसाती गजब कहर।
शाम ठण्डी थपकी देती,
लोरी सुनाती रात प्रहर।
बिजली आंख मिचोली खेले,
मच्छर करते भन्न-भन्न।
सांसत में है प्राण हमारे,
कहते रहते सारे जन-जन।
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