हिंदी बाल कविता: गर्मी तेज हुई है भैया

By Lotpot
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गर्मी तेज हुई है भैया

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गर्मी तेज हुई है भैया

पापा पानी पी-पी हारे,
मम्मी हारी पंखा झल-झल।

गर्मी तेज हुई है भैया,
मंद हुई नदिया की कल-कल।

सुबह-सुबह ही धूप काटती,
खूब तपाती है दुपहर।

लाख चले पंखा कूलर पर,
गर्मी कहती ठहर-ठहर।

बंद हो गया खुला खेलना,
लू बरसाती गजब कहर।

शाम ठण्डी थपकी देती,
लोरी सुनाती रात प्रहर।

बिजली आंख मिचोली खेले,
मच्छर करते भन्‍न-भन्‍न।

सांसत में है प्राण हमारे,
कहते रहते सारे जन-जन।

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