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मई का महीना
मई का महीना
आया है यह मई का महीना,
आए हमको बहुत पसीना।
चली लू और कड़ाके की पड़ी धूप,
काला हो जाता अच्छा खासा रूप।
त्वचा हमारी ठंडक को है तरसती,
निकलो बाहर तो है आग बरसती।
बनता नहीं है अब कोई बहाना,
कई बार पड़ता है नहाना।
जब भी हम हैं खेल के आते,
ढेरों हम गिलास शरबत पी जाते।
आम, खरबूजा हमें बहुत हैं भाते,
तरबूज, ककड़ी, खीरा खूब हैं खाते।
ठंडी आइसक्रीम ठंडा पानी,
गर्मी की है यह खास निशानी।
रात छोटी दिन होता है बड़ा,
सुबह होते ही सूरज होता सिर पे खड़ा।
हर बच्चा अब है यही गाये,
साल में ना मई का महीना आए।
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