धरती का आँगन इठलाता
यह कविता धरती के अद्भुत सौंदर्य और उसके असीमित वैभव का गुणगान करती है। इसमें शस्य-श्यामला भूमि, स्वर्णिम फसलें, और वैभवशाली अंचल को श्रद्धांजलि दी गई है। कवि मानव और धरती के चिरकालिक संबंधों को दर्शाते हुए संदेश देता है
यह कविता धरती के अद्भुत सौंदर्य और उसके असीमित वैभव का गुणगान करती है। इसमें शस्य-श्यामला भूमि, स्वर्णिम फसलें, और वैभवशाली अंचल को श्रद्धांजलि दी गई है। कवि मानव और धरती के चिरकालिक संबंधों को दर्शाते हुए संदेश देता है